नई दिल्लीः बजट से लेकर अब तक यानी महज चार ट्रेडिंग सत्र में ही बांबे स्टॉक एक्सचेंज पर निवेशकों की पौने आठ लाख करोड़ रुपये की पूंजी डूब चुकी है. अकेले मंगलवार को ही ढ़ाई लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का अमंगल हुआ.

मंगलवार को शेयर बाजार में कारोबार शुरु होने के पहले ही बाजार में भारी अमंगल की आशंका थी. सबसे बड़ी वजह थी अमेरिका में ब्याज दरों के बढ़ने की खबर. इससे उधार लेकर शेयर खरीदने की लागत बढ़ जाती. नतीजा अमेरिकी शेयर बाजारों में तो सोमवार को भारी गिरावट हुई. बजट में लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगने की घबराहट तो पहले से ही थी. इन्ही सब कारणों से भारतीय शेयर बाजार खुलते ही औंधे मुंह गिर पड़े. सेंसेक्स में 1200 तो निफ्टी में 200 प्वाइंट से भी ज्यादा की गिरावट शुरुआती कारोबार में देखने को मिली. दोपहर बाद बाजार में थोड़ी खरीदारी आयी. समझा जाता है कि सरकारी बैंक व वित्तीय संस्थाओं ने खुलकर पैसा लगाया जिससे अंत में बांबे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 561 प्वाइंट की गिरावट के बाद 34196 पर बंद हुआ. वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का 50 शेयरों वाला निफ्टी 10498 पर बंद हुआ ये सोमवार के मुकाबले 168 प्वाइंट कम है.

बाजार में गिरावट का हाल ये है कि 2018 में अब तक का हुआ पूरा मुनाफा डूब चुका है और सेंसेक्स में चंद कारोबारी सत्र के बीच करीब तीन हजार प्वाइंट का नुकसान हुआ है. अगर बांबे स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड तमाम कंपनियों के शेयरों का बाजार पूंजीकरण (आम बोलचाल की भाषा में कहें तो निवेश की बाजार कीमत) 31 जनवरी को 1,53,20,977.74 करोड़ रुपये थी जो छह फरवरी यानी मंगलवार को घटकर 1,45,22,830 करोड़ रुपये पर आ गयी, यानी बजट से लेकर अब तक 7.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान.

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि बाजार में इतनी ज्यादा घबराहट क्यों है. इसकी वजह है बांड यील्ड, यानी बांड पर होने वाली कमाई. ये कमाई अमेरिका में जहां चार सालों के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गयी है, वहीं भारतीय बाजारों में भी 10 सालों वाले बांड पर यील्ड में तेजी देखने को मिल रही है. इस बढ़ोतरी की वजह से बांड आकर्षक और शेयर महंगे लगने लगते हैं. यहां ब्याज दर में उछाल के आसार बनते हैं जिससे कंपनियों के लिए कर्ज जुटाना महंगा पड़ेगा. ऊंची ब्याज दर से आर्थिक विकास की रफ्तार भी प्रभावित होने का खतरा होता है. इन्ही सब कारणों से संस्थागत निवेशक शेयरों से पैसा निकालना बेहतर समझते हैं.

इस बीच, सरकार ये भरोसा दिलाने में जुटी हुई है कि शेयर बाजार में गिरावट के लिए लांग टर्म कैपिटल गेन को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं. उसके मुताबिक, दुनिया भर के बाजारों में गिरावट है और भारतीय बाजार इससे अछूते नहीं रह सकते. फिर भी जानकारों का कहना है कि इस टैक्स की वापसी से बाजार का माहौल तो बिगड़ा ही है.

बाजार में हो रही इस तेज उतार-चढ़ाव को देखते हुए जानकारों की सलाह है कि वैसे तो छोटे निवेशकों के लिए बाजार से दूर रहना ही बेहतर होगा और म्यूचुअल फंड का रास्ता अपनाना उचित होगा. फिर भी अगर लंबे समय के लिए निवेश करना चाहें तो कई चुनिंदा शेयर अब सस्ती कीमत पर उपलब्ध है जिसका फायदा उठाया जा सकता है.