नई दिल्लीः तमाम अटकलों पर विराम लगते हुए रिजर्व बैंक ने ऐलान किया है कि बंद किए गए 500 और 1000 रुपये के सारे नोट वापस आ गए हैं. दूसरी ओर बैंक का ये भी कहना है कि नोटों की छपाई पर उसका खर्च करीब-करीब दुगना हो गया.


रिजर्व बैंक के लिए 30 जून को समाप्त हुए वित्त वर्ष 2016-17 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, 30 जून तक कुल मिलाकर 15.28 लाख करोड़ रुपये के 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट वापस आ गए हैं. ध्यान रहे कि 8 नवंबर को नोटबंदी के दिन 500 और 1000 रुपये के कुल नोट करीब 15.44 लाख करोड़ रुपये के थे. इस तरह करीब 99 फीसदी पुराने नोट वापस आ गए हैं. हालांकि रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा गया है कि सहकारी बैंकों में जमा कराए पुराने नोट और नेपाल में जमा कराए नोट अभी इस गणना मे शामिल नहीं है. ऐसे में ये आशंका गहराने लगी है कि जितने नोट बंद किए गए, उससे कहीं ज्यादा तो वापस नहीं आ जाएंगे.


रिपोर्ट के मुताबिक, रिजर्व बैंक ने 2015-16 के दौरान नोटों की छपाई पर कुल मिलाकर 3421 करोड़ रुपये खर्च किए थे जो 2016-17 में बढ़कर 7965 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, यानी करीब दुगना. ध्यान रहे कि 2016-17 के दौरान 500 और 2000 रुपये के नए नोट तो छापे ही गए, उसके अलावा 50 रुपये और 200 रुपये के नए नोट की छपाई का काम भी शुरु हुआ जिससे रिजर्व बैंक का खर्च बढ़ा.


रिपोर्ट में जानकारी दी गयी है कि 2016-17 के दौरान चलन में नोट की संख्या 2015-16 के मुकाबले 11 फीसदी से ज्यादा बढ़ी जबकि कीमत के लिहाज से 20 फीसदी से भी ज्यादा घट गयी. 2016-17 के दौरान कुल मिलाकर 13,102 अरब रुपये के नोट चलन में रहे. 2015-16 के दौरान कीमत के लिहाज से जहां 500 और उससे ज्यादा के नोटों की कुल नोटों में हिस्सेदारी 86.4 फीसदी थी वो मार्च 2017 तक घटकर 73.4 फीसदी रह गयी. लेकिन 2000 रुपये के नोटों का जलवा रहा और कीमत के लिहाज से कुल नोटों में इसकी हिस्सेदारी 50 फीसदी से भी ज्यादा रही.


चौंकने वाला तथ्य जाली नोटों के मामले मे भी देखने को मिला. रिपोर्ट में जाली नोट की संख्या – 2016-17 के दौरान जाली नोट की संख्या 6,32,926 से बढ़कर 7,62,072 हो गयी. इसमें से दो हजार रुपये के नए नोट की संख्या 638 और 500 रुपय के नए नोट की संख्या 199 थी, वहीं ढ़ाई लाख से भी ज्यादा एक हजार रुपये के नए नोट पकड़े गए. मतलब फा है कि नए नोट के भी नकल लोगों ने बना लिया


रिजर्व बैंक ने जारी किया अपना सालाना रिपोर्ट (बड़ी बातें)




  • रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के समय कुल मिलाकर 15.44 लाख करोड़ रुपये के 1000 और 500 रुपये के नोट चलन में थे, इसमें से 30 जून 2017 तक 15.28 लाख करोड़ रुपये वापस आए गए. मतलब ये हुआ करीब 99 फीसदी नोट वापस आ गए

  • 31 मार्च 2017 को 1000 रुपये के 8.9 करोड़ नोट यानी 89 अऱब रुपये के नोट चलन में थे, यानी इतने नोट वापस नहीं आए

  • रिपोर्ट के मुताबिक, 2016-17 के दौरान चलन मे नोट की कीमत 20 फीसदी कम हुई, संख्या 11 फीसदी बढ़ी

  • 2015-16 के दौरान चलन में जो नोट थे, उसकी कुल कीमत का 86.4 फीसदी 500 और 1000 रुपये के नोट थे

  • 2016-17 के दौरान चलन में जो नोट रहे, उसकी कुल कीमत में 500, 1000 और 2000 के नोट की हिस्सेदारी घटकर 73.4 फीसदी रही

  • 2016-17 के दौरान 2000 रुपये के नोट की हिस्सेदारी 50.2 फीसदी रही

  • 2016-17 के दौरान 2000 रुपये के 3285 मिलियन नोट चलन मे रहे

  • 2016-17 में 2000 के 3500 मिलियन नोट छापने का प्रस्ताव था जबकि 3504 मिलियन नोट मुहैया कराए गए


रिपोर्ट में जाली नोट की संख्या– 2016-17 के दौरान जाली नोट की संख्या 6,32,926 से बढ़कर 7,62,072 हो गयी. इसमें से दो हजार रुपये के नए नोट की संख्या 638 और 500 रुपय के नए नोट की संख्या 199 थी, वहीं ढ़ाई लाख से भी ज्यादा एक हजार रुपये के नए नोट पकड़े गए. मतलब साफ है कि नए नोट की भी नकल लोगों ने बना ली.


नोट की छपाई पर रिजर्व बैंक ने 2016-17 (1 जुलाई 2016 से 30 जून 2017) के बीच कुल मिलाकर 7965 करोड़ रुपये खर्च किए जबकि उसके पहले साल में ये रकम 3421 करोड़ रुपये थी.


आखिर आरबीआई ने जारी किया नोटबंदी का आंकड़ाः 1000 के नोटों में से 99% नोट वापस आए