Business Idea: इस खेती से चमक उठेगी किस्मत, कम लागत में 5 गुना मुनाफा कमाने वाला सुपरहिट तरीका!
Business Idea: आज के दौर की लाइफस्टाइल को देखते हुए ऐलोवेरा की मांग बहुत ज्यादा है और कंपनियों को उच्च क्वालिटी का माल नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में ढंग से खेती की जाए तो लाखों का फायदा है.
Business Idea: ऐलोवेरा के बारेमें आज की तारीख में कौन नहीं जानता है. बाजार में एलोवेरा से बने उत्पादों की अच्छी खासी मांग है. सौंदर्य प्रसाधन के सामान में इसका सर्वाधिक उपयोग होता है. वहीं, हर्बल उत्पाद व दवाओं में भी इस्तेमाल किया जाता है.
यही वजह है कि ऐलोवेरा की खेती अब मुनाफे का सौदा बन गई है. ऐसे में आप भी अगर अपना कोई काम शुरू करना चाहते हैं तो आप ऐलोवेरा की खेती कर सकते हैं. अच्छे एलोवेरा की मांग बहुत ज्यादा इसलिए भी है क्योंकि कंपनियों को उच्च क्वालिटी का माल नहीं मिल पा रहा है. इसलिए अगर कोई व्यक्ति सही तरीके से कंपनियों के मानकों के अनुसार ऐलोवेरा का उत्पादन करता है तो वह इससे लाखों रुपए कमा सकता है.
कैसे करें खेती?
एलोवेरा की खेती के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है. इसकी खेती शुष्क क्षेत्र में ज्यादा फायदेमंद होती है. इसकी खेती ऐसी जमीन पर नहीं की जा सकती, जिसमें पानी ठहर जाता है. साथ ही जिन जगहों पर ज्यादा ठंड पड़ती है, वहां भी ऐलोवेरा की खेती नहीं हो सकती.
इसकी खेती रेतीली और दोमट मिट्टी में की जा सकती है. भूमि चयन करते समय हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि इसकी खेती के लिए भूमि ऐसी हो जो थोड़ी ऊंचाई पर हो और खेत में जल निकासी की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए.
पौधे कब लगाएं?
एलोवेरा की रोपाई वैसे तो फरवरी से अगस्त तक कभी भी की जा सकती है, लेकिन इसको लगाने का सही समय जुलाई-अगस्त माना जाता है. ऐलोवेरा के पौधे लगाने से पहले एक एकड़ में कम से कम 20 टन गोबर की खाद जरूर डाली जानी चाहिए. वहीं 3-4 महीने पुराने चार-पांच पत्तों वाले कंदों की रोपाई की जाती है.
एक एकड़ में 10,000 पौधे लगाए जा सकते हैं. पौधों की संख्या कितनी होनी चाहिए ये मिट्टी के प्रकार और जलवायु पर निर्भर करती है. जहां पौधों की बढ़त और फैलाव ज्यादा होता है वहां पौधों के बीच ज्यादा दूरी रखी जाती है और जहां बढ़वार कम होता है, वहां पौधे से पौधे की दूरी और लाइन से लाइन की दूरी कम रखी जाती है.
रोपाई का तरीका
आमतौर पर पौधों की रोपाई के लिए जो तरीका अपनाया जाता है उसमें एक मीटर जगह में दो लाइनें लगाई जाती हैं तथा फिर एक मीटर जगह खाली छोड़ी जाती है. इसके बाद फिर एक मीटर में दो लाइनें लगानी चाहिए. पौधों के बीच की दूरी 40 सेंटीमीटर और लाइन से लाइन की दूरी 45 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. रोपाई के तुरंत बाद एक सिंचाई करनी चाहिए. उसके बाद तो आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहना चाहिए. सिंचाई से पत्तों में जेल की मात्रा बढ़ती है.
खर्चा कितना होगा?
इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) के अनुसार, एक हेक्टेयर में प्लांटेशन का खर्च लगभग 27,500 रुपए आता है. जबकि, मजदूरी, खेत की तैयारी, खाद आदि जोड़कर पहले साल यह खर्च 50,000 रुपए पहुंच जाता है. ऐलोवेरा की एक हेक्टेयर में खेती से पहले साल करीब 450 क्विंटल एलोवेरा की पत्तियां मिलती हैं. एलोवेरा की पत्तियां का भाव 2,000 रुपये क्विंटल मिल जाता है. इस तरह एक हेक्टेयर में साल में 9,00,000 रुपये का उत्पादन हो जाता है. दूसरे और तीसरे साल एलोवेरा का उत्पादन बढ़ता है और यह 600 क्विंटल तक भी पहुंच सकता है.
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