ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन (Amazon) ने अब अमेरिका में ऑनलाइन फार्मेसी बिजनेस में कदम रख दिया है. यानि अब अमेजन से दवाइयां भी ऑनलाइन मंगाई जा सकती हैं. माना जा रहा है कि अमेजन कंपनी के इस फैसले से फार्मेसी बिजनेस में उथल फुथल मचना तय है. अमेजन की इस फैसले से का अमेरिका में CVS और Wallgreens जैसे बड़े स्टोर प्रभावित हो सकते हैं.
ऐमजॉन का कहना है कि वह क्रीम, पिल्स और इन्सुलिन जैसी सामान्य दवाएं ही बेचेगी जिन्हें भी इन दवाइयों को खरीदना होगा उन्हें ऐमजॉन की बेवसाइट पर प्रोफाइल सेट अप करना होगा और उस पर डॉक्टर की पर्ची को भेजना होगा.
किताबों से लेकर खिलौनों और ग्रोसरी में अपना वर्चस्व कायम कर लेने के बाद अब अमेजन फार्मेसी बिजनेस पर कब्जा कर लेना चाहते हैं. अमेजन ने ऑनलाइन फार्मेसी पिलपैक (PillPack) को खरीदने के लिए दो साल पहले 75 करोड़ डॉलर खर्च कर दिए. अमेजन का कहना है कि पिलपैक का बिजनस भी चलता रहेगा और इसका फोकस गंभीर रोगियों की दवा पर होगा.
भारत में हो रहा है विरोध
भारत में मेडिकल स्टोर इंडस्ट्री ने फार्मेसी बिजनेस में ऐमजॉन की एंट्री का विरोध किया है. ऐमजॉन इंडिया ने अगस्त में बेंगलूरु में फार्मेसी बिजनस की शुरुआत कर चुकी है. देश के दूसरे शहरों में भी वह पायलट प्रोजेक्ट चला रही है.
केमिस्ट और खुदरा दवा विक्रेताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) ने इस बारे में ऐमजॉन को पत्र लिख चुकी है.
एआईओसीडी ने 14 अगस्त को बेजोस को पत्र लिखा है. इसके साथ ही अमेजन की भारतीय इकाई के सीइओ अमित अग्रवाल को भी यह पत्र भेजा गया है. इसमें कहा गया है कि ऑनलाइन दवाईयों की बिक्री भारत में काफी विवादास्पद रही है. इसमें कई मामले अदालत में पहुंचे हैं.
एआईओसीडी ने पत्र में कहा है, ‘‘हमें पता चला है कि अमेजन डाट इन ने ऑनलाइन फार्मेसी के क्षेत्र में उतरने का फैसला किया है. हम आपको इसी संदर्भ में यह लिख रहे हैं कि भारत में ई- फार्मेसी गैरकानूनी है और दवा एवं प्रसाधन कानून एवं नियमों के तहत इसकी मान्यता नहीं है.’’
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