कोरोना महामारी के मामले लगभग पूरी दुनिया में नियंत्रित हो चुके हैं और इसके साथ ही कई सेक्टर्स इसके असर से उबरने लगे हैं. महामारी के दौरान यात्रा, होटल जैसे सेक्टर्स ज्यादा प्रभावित हुए थे. अब इनमें सुधार दिखने लगा है और इसके साथ ही यात्राओं में तेजी आने लगी है. एक ताजी रिपोर्ट के अनुसार, बदले ट्रेंड के हिसाब से कई सेक्टर्स की भारतीय कंपनियां अपना बिजनेस ट्रैवल बजट बढ़ा रही हैं. इससे ऐसी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों को साल 2023 के दौरान विदेश घूमने का ज्यादा मौका मिल सकता है.


इस रिपोर्ट में सामने आई बात


अमेरिकन एक्सप्रेस इंडिया ने सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च के साथ मिलकर ‘रिवाइवल ऑफ बिजनेस ट्रैवल: ऐन इंडिया प्रेसपेक्टिव (Revival of business travel: An India perspective)’ रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल यानी 2022 की तुलना में 2023 के दौरान ज्यादातर भारतीय कंपनियां अपने ट्रैवल बजट को बढ़ा सकती हैं.


इतनी कंपनियां बढ़ा रहीं बजट


इस रिपोर्ट को एक सर्वे के आधार पर तैयार किया गया है. बिजनेस ट्रैवल एंड एंटरटेनमेंट सर्वे में पता चला कि 67 फीसदी भारतीय कंपनियां 2023 में बिजनेस ट्रैवल में तेजी आने की उम्मीद कर रही हैं. वहीं 77 फीसदी कंपनियों का कहना है कि वे इस साल अपने ट्रैवल बजट को बढ़ा सकती हैं. सर्वे में शामिल 79 फीसदी भारतीय कंपनियां ट्रैवल बुकिंग और खर्च के लिए बिजनेस ट्रैवल डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल करती हैं. इससे पता चलता है कि ट्रैवल सेक्टर के लिए अब तकनीक किस कदर महत्वपूर्ण हो चुकी है.


सरकारी कर्मचारी सबसे आगे


रिपोर्ट में कई और भी दिलचस्प बातें सामने आई हैं. जैसे 53 फीसदी कंपनियों ने कहा कि पिछले साल की अंतिम छह महीनों के दौरान उनके करीब आधे कर्मचारी घरेलू या विदेशी वर्क ट्रिप पर गए. इनमें सबसे आगे सरकारी कंपनियों के कर्मचारी रहे. इस दौरान सरकारी कंपनियों के 64 फीसदी कर्मचारियों ने काम के सिलसिले में यात्राएं की. इनके बाद मार्केटिंग, सेल्स, रियल एस्टेट, प्रोफेशनल सर्विसेज और फार्मा सेक्टर का स्थान रहा.


इस कारण बढ़ रहा है ट्रेंड


रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय कंपनियां तेजी से बदलते समय के साथ कॉस्ट इफेक्टिव समाधानों को एक्सप्लोर कर रही हैं. इस कारण वे अपने कर्मचरियों को बाहर भेज रही हैं. हालांकि महामारी के दौरान एक ऐसा भी ट्रेंड सामने आया, जो बिजनेस ट्रैवल में पूरी तेजी को रोक रहा है. अब पहले की तुलना में बैठकें व अन्य कार्यक्रम ज्यादा वर्चुअली हो रहे हैं. ऐसे में काम को लेकर यात्रा करने की जरूरतें कम हुई हैं.


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