Adani Group News: आंध्र प्रदेश(Andhra Pradesh) की चंद्रबाबू नायडू सरकार अडानी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy) से जुड़े पावर पर्चेंज एग्रीमेंट (PPA) को होल्ड करने से जुड़े विकल्पों पर विचार कर रही है. सोलर प्रोजेक्ट्स के कॉन्ट्रैक्ट्स हासिल करने के लिए रिश्वतखोरी के आरोपों के बाद अमेरिकी जस्टिस विभाग के अभियोग के बाद राज्य सरकार इन विकल्पों पर विचार कर रही है.  


ईटी ने आंध्र प्रदेश सरकार में सूत्रों के हवाले से बताया कि, प्रदेश सरकार सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (Solar Energy Corporation of India) अडानी ग्रीन एनर्जी के साथ पावर पर्चेंज एग्रीमेंट को लेकर हुए करार को रद्द करने के लिए पत्र लिखने पर विचार कर रही है. साथ ही राज्य सरकार इस पूरे मामले की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने को लेकर सिफारिश करने पर भी विचार कर रही है. दूसरे विकल्पों में कैबिनेट सब-कमिटी का गठन करने पर विचार किया जा रहा है जो रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच करे और फिलहाल के लिए सोलर  एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ हुए पावर सप्लाई एग्रीमेंट को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए. 


तीसरे ऑप्शन में पावर सप्लाई एग्रीमेंट को पूरी तरह स्क्रैप करना है. सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार इस विकल्प पर जोर दे रही है जिसमें सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को पत्र लिखा जाए और उसे पावर सप्लाई एग्रीमेंट को रद्द करने को कहा जाए. इस पावर पर्चेज एग्रीमेंट के तहत आंध्र प्रदेश सरकार को सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से 7000 मेगावाट सोल बिजली खरीदना है. अमेरिकी अथॉरिटी ने अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी और सात अन्य लोगों पर भारत में ओडिशा, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और केंद्र शाषित प्रदेश जम्मू कश्मीर के अधिकारियों को 2021 से लेकर 2022 के दौरान सोलर प्रोजेक्ट्स हासिल करने के लिए 265 मिलियन डॉलर के रिश्वत देने का आरोप लगाया है.   


दो कंपनियां जो इस पूरे मामले में विवादों में घिरी है उसमें अडानी ग्रीन (Adani Green) और एज्योर पावर (Azure Power) का नाम है जिन्हें जून 2020 में लेटर ऑफ अवॉर्ड जारी किया गया था. इन कंपनियों ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ पावर पर्चेंज एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया था. हालांकि सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया इन दो कंपनियों से बिजली खरीदने के लिए डिस्कॉम की तलाश नहीं कर पाई क्योंकि बिजली की दरें बेहद ऊंची थी. अमेरिकी अथॉरिटी ने आरोप लगाया है कि इसके बाद राज्य सरकार के अधिकारियों को रिश्वत दी गई जिसके बाद स्टेट डिस्कॉम बिजली खरीदने के लिए तैयार हुए और फिर सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ पावर पर्चेंज एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया गया.   


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