Anil Ambani: रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के फाउंडर धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) के बाद कुछ समय के लिए यह संकट खड़ा हुआ था कि आखिरकार रिलायंस का नाम मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के पास रहेगा या फिर उनके छोटे भाई अनिल अंबानी (Anil Ambani) के हिस्से चला जाएगा. हालांकि, अंबानी फैमिली (Ambani Family) ने इसका शानदार हल निकाला. आखिरकार तय हुआ कि रिलायंस ब्रांड (Reliance Brand) दोनों भाई इस्तेमाल कर सकेंगे. अब इसी नाम को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है. अनिल अंबानी ने हिंदुजा ग्रुप (Hinduja Group) पर रिलायंस नाम का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की शरण ली है. 


रिलायंस कैपिटल के नाम का इस्तेमाल न करे आईआईएचएल


अनिल अंबानी के स्वामित्व वाले अनिल धीरूभाई अंबानी वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड (Anil Dhirubhai Ambani Ventures) ने एनसीएलटी में दाखिल याचिका में आग्रह किया है कि हिंदुजा ग्रुप के मालिकाना हक वाली इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स (Indusind International Holdings) को रिलायंस नाम का इस्तेमाल करने से रोका जाए. कंपनी को निर्देश दिया जाए कि वो आर्थिक संकट में फंसी रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) की समाधान योजना लागू करने के बाद रिलायंस नाम का इस्तेमाल न करे. इस मामले पर एनसीएलटी मंगलवार को सुनवाई करेगा.


आईआईएचएल ने किया है रिलायंस कैपिटल का अधिग्रहण


एनसीएलटी ने आईआईएचएल की समाधान योजना को मंजूर करते हुए फरवरी में निर्देश दिया था कि वह 3 साल तक रिलायंस नाम का इस्तेमाल कर सकते हैं. आईआईएचएल ने हाल ही में कर्जदारों को 9,641 करोड़ रुपये चुकाकर रिलायंस कैपिटल का अधिग्रहण किया था. रिलायंस कैपिटल 25 हजार करोड़ रुपये का कर्ज चुकाने में नाकाम रही थी. आईआईएचएल ने नीलामी के दौरान रिलायंस कैपिटल को खरीदा था. कर्जदारों ने रिलायंस कैपिटल के लिए आईआईएचएल की निविदा को जून, 2023 में मंजूरी दी थी. 


अंबानी परिवार ही इस्तेमाल कर सकता है रिलायंस ब्रांड


याचिका में कहा गया है कि रिलायंस ब्रांड को अंबानी परिवार ही इस्तेमाल कर सकता है. मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली जियो फाइनेंशियल सर्विसेज (Jio Financial Services) जल्द ही देश में वित्तीय सेवाएं शुरू करने वाली है. ऐसे में अंबानी भाईयों के अलावा किसी और को रिलायंस नाम का इस्तेमाल न करने दिया जाए. याचिका में कहा गया है कि नाम का इस्तेमाल करने देने की मंजूरी देते समय उनका पक्ष नहीं सुना गया था.


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