Ernst & Young: अर्न्स्ट एंड यंग इंडिया (EY India) की 26 वर्षीय सीए एना सेबेस्टियन पेराइल (Anna Sebastin Perayil) की मौत के मामले में नया खुलासा हुआ है. इस मामले में कंपनी के खिलाफ की जा रही जांच में पता चला है कि ईवाई इंडिया के पुणे ऑफिस के पास काम के घंटे तय करने वाला राज्य सरकार का परमिट ही नहीं है. इस कानून के तहत काम के अधिकतम घंटे रोजाना 9 और हफ्ते में 48 तय किए गए हैं. इस खुलासे के बाद अब कंपनी फंसती नजर आ रही है. 


ईवाई पुणे ऑफिस के पास साल 2007 से नहीं है परमिट


सरकारी अधिकारियों के हवाले से रायटर्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अर्न्स्ट एंड यंग इंडिया (Ernst & Young India) का पुणे ऑफिस साल 2007 से ही बिना परमिट के चल रहा है. एना सेबेस्टियन की मौत के मामले में कंपनी के खिलाफ केंद्र सरकार ने भी जांच शुरू की है. कंपनी पर आरोप है कि उन्होंने एना सेबेस्टियन को ज्यादा काम दिया, जिसके चलते वह परेशान हो गई थी. आखिरकार उसकी जुलाई में मौत हो गई. यह मामला एना की मां अनीता ऑगस्टीन (Anita Augustine) के कंपनी को लिखे ईमेल के बाद चर्चा में आया था. इस मसले पर ईवाई इंडिया और कंपनी के चेयरमैन राजीव मेमानी (Rajiv Memani) ने माफी भी मांगी थी.


इसी साल खारिज कर दी गई थी कंपनी की एप्लीकेशन 


महाराष्ट्र के एडीशनल लेबर कमिश्नर शैलेंद्र पॉल की टीम ने ईवाई पुणे ऑफिस की जांच की थी. उनका कहना है कि कंपनी राज्य सरकार के शॉप्स एंड इस्टैब्लिशमेंट एक्ट (Shops and Establishments Act) में रजिस्टर नहीं है, जबकि यह आवश्यक है. कंपनी ने लेबर डिपार्टमेंट में रजिस्टर करने के लिए फरवरी, 2024 में एप्लीकेशन दी थी, जिसे खारिज कर दिया गया था. हमने उनसे पूछा था कि साल 2007 से उन्होंने अप्लाई  क्यों नहीं किया. कंपनी को जवाब देने के लिए 7 दिन का समय दिया गया है. इस कानून के तहत किसी कर्मचारी की मौत या गंभीर रूप से घायल होने पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना और 6 महीने की जेल का प्रावधान है.


ईवाई इंडिया से कंपनी की लॉग बुक भी मांगी गई 


शैलेंद्र पॉल ने बताया कि हमने ईवाई इंडिया से कंपनी की लॉग बुक भी मांगी है ताकि पता लगाया जा सके कि काम के घंटे और वेलफेयर पॉलिसी क्या है. साथ ही इससे पता लग सकेगा कि कंपनी ने एना सेबेस्टियन पेराइल को कितना काम दिया था. ईवाई इंडिया ने कहा था कि उनके साथ भारत के करीब 1 लाख कर्मचारी जुड़े हुए हैं. इस दर्दनाक मामले के सामने आने के बाद कर्मचारियों के मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर बहस छिड़ गई है. जेपी मॉर्गन (JPMorgan) ने तो पिछले ही हफ्ते इसके लिए एक नया पद भी तय कर दिया है.


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