Netherlands Recession: मंदी की चपेट में आया ये यूरोपीय देश, लगातार दूसरी तिमाही माइनस में रही GDP ग्रोथ
Economic Recession 2023: इससे पहले 2023 में यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी को भी आर्थिक मंदी की मार लग चुकी है. उसके बाद यह मंदी में गिरने वाली यूरोप की दूसरी अर्थव्यवस्था है...
वैश्विक आर्थिक मंदी का खतरा अभी टला नहीं है. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका को लेकर भले ही डर कुछ कम हुआ हो, लेकिन अभी भी कई देशों के ऊपर मंदी का गंभीर खतरा मंडरा रहा है. अब जर्मनी के बाद यूरोप की एक अन्य अर्थव्यवस्था मंदी में गिर गई है.
दो तिमाही में माइनस रही ग्रोथ
नीदरलैंड के नेशनल स्टैटिस्टिक्स ब्यूरो ने बुधवार को जीडीपी के आधिकारिक आंकड़े जारी किया. आंकड़ों के अनुसार, जून 2023 तिमाही में नीदरलैंड की जीडीपी में 0.4 फीसदी की गिरावट आई. इसका मतलब हुआ कि अप्रैल से जून 2023 के दौरान नीदरलैंड की अर्थव्यवस्था का साइज 0.4 फीसदी कम हो गया. उससे पहले 2023 की पहली तिमाही में भी नीदरलैंड की जीडीपी ग्रोथ माइनस में रही थी. जनवरी से मार्च 2023 के दौरान नीदरलैंड की जीडीपी का साइज 0.3 फीसदी कम हुआ था.
ऐसे चलता है मंदी का पता
अर्थशास्त्र की मानक परिभाषा के अनुसार, अगर कोई अर्थव्यवस्था लगातार दो तिमाही के दौरान शून्य से नीचे यानी माइनस में ग्रोथ रेट दर्ज करती है, तो ऐसा मान लिया जाता है कि वह अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ गई है. चूंकि नीदरलैंड की अर्थव्यवस्था इस बार लगातार दो तिमाही में गिरावट दर्ज कर चुकी है, आधिकारिक तौर पर उसके मंदी में गिरने की पुष्टि हो गई है. इससे पहले यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी की जीडीपी ग्रोथ रेट भी लगातार दो तिमाही में शून्य से नीचे रह चुकी है.
इन कारणों से आई मंदी
नीदरलैंड के सेंट्रल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स ने जीडीपी के आंकड़ों की जानकारी देते हुए बताया कि जून तिमाही के दौरान ग्रोथ रेट माइनस में रहने का मुख्य कारण हाउसहोल्ड कंजम्पशन में कमी आना है. सीबीएस के अनुसार, आलोच्य तिमाही के दौरान लोगों ने फर्नीचर और कपड़ों की कम खरीदारी की. वहीं कल्चर व लीजर जैसे सेक्टरों में खर्च बढ़ा. तिमाही के दौरान नीदरलैंड का आयात बढ़ा, जबकि निर्यात में कमी आई. इसने भी इकोनॉमी को मंदी में धकेला.
राहत और चिंता की ये बातें
राहत की बात इस इतनी है कि नीदरलैंड में मंदी की इंटेंसिटी बहुत ज्यादा नहीं है. 0.3 फीसदी की गिरावट के बाद अगली तिमाही में 0.4 फीसदी की गिरावट आना माइल्ड रिसेशन यानी हल्की मंदी का संकेत है. दूसरी ओर चिंता की बात ये है कि लगातार चौथी तिमाही में नीदरलैंड की अर्थव्यवस्था दबाव में रही है. जनवरी-मार्च तिमाही में ग्रोथ रेट माइनस में जाने से पहले लगातार दो तिमाही लगभग शून्य रही थी. दूसरे शब्दों में कहें तो साल भर से नीदरलैंड की अर्थव्यवस्था में वृद्धि नहीं हुई है, जबकि पिछले छह महीने में उसमें गिरावट आई है.
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