Apollo Tyres: सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) ने बुधवार को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड की ओर से 2003 में शेयरों की बायबैक से संबंधित मानदंडों का उल्लंघन करने के मामले में अपोलो टायर्स पर जुर्माना लगाने का आदेश रद्द कर दिया है. सेबी की ओर से ये जुर्माना अपोलो टायर्स पर 65 लाख रुपये का लगाया गया था. अब बाजार नियामक को जमा जुर्माना वापस करने का निर्देश दिया गया है.
अपोलो टायर्स ने सेबी के नवंबर 2018 में पारित आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी. यह आरोप लगाया गया था कि कंपनी अधिनियम और सेबी नियमों की संबंधित धारा का उल्लंघन करके कंपनी और उसके प्रमोटर्स द्वारा अपोलो टायर्स के 36.90 लाख शेयर वापस खरीदे गए थे.
क्या है शेयर बायबैक का नियम
सेबी ने अपने आदेश में कहा था कि अपोलो टायर्स ने शेयरों की पुनखरीद के लिए बायबैक विनियमन के तहत नियम का पालन नहीं किया था. गौरतलब है कि बायबैक के नियम 4(1) के तहत कोई कंपनी टेंडर ऑफर और स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से खुले बाजार में और ऑड-लॉट धारकों से शेयर वापस खरीद सकती है.
आदेश में सैट ने क्या कहा
सैट ने अपने आदेश में कहा कि एक बार जब 36.90 लाख शेयरों की बिक्री को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा तो सेबी द्वारा बाय-बैक नियमों या कंपनी अधिनियम की धारा 77 के संभावित उल्लंघन की जांच करने का सवाल ही नहीं उठता और न ही जुर्माना लगाया जा सकता है. आगे कहा कि हमारा मानना है कि एक बार जब 36.90 लाख की बिक्री की उच्चतम न्यायालय द्वारा पुष्टि कर दी जाती है तो कथित उल्लंघन को माफ कर दिया गया माना जाता है. ऐसे में सेबी के पास कोई जुर्माना लगाने का अधिकार नहीं था.
सैट ने कहा कि लागत के संबंध में बिना किसी आदेश के अपील की अनुमति दी जाती है. सेबी को 4 सप्ताह के भीतर राशि वापस करने का आदेश दिया गया है. 2018 में फैसला तब आया जब जनवरी 2017 में सैट ने इस मामले में अपोलो टायर्स पर सेबी द्वारा लगाए गए 1 करोड़ रुपये से अधिक के जुर्माने को रद्द कर दिया था.
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