कोविड-19 की वजह से मैन्यूफैक्चरिंग में भारी गिरावट आई है. अप्रैल में फैक्ट्री उत्पादन 55.5 फीसदी गिर गया. मार्च में इसमें 16.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी.मैन्यूफैक्चरिंग की स्थिति दर्शाने वाला औद्योगिक उत्पादन सूचकांक यानी IIP का सिर्फ इंडेक्स वैल्यू जारी किया गया. लेकिन इसके आकलन से ऐसा लगता है कि फैक्ट्री उत्पादन में 55 फीसदी से अधिक गिरावट दर्ज की गई है.


सरकार की ओर से कहा गया है कि अप्रैल में आईआईपी की तुलना इसके पिछले महीने से नहीं की जा सकती है. क्योंकि अप्रैल में कई यूनिटों में उत्पादन शून्य रहा है. इस हिसाब से देखें तो इसमें से 30 से 40 फीसदी की गिरावट आई होगी.


2011 के बाद सबसे बड़ी गिरावट


2011-12 के आईआईपी सीरीज जारी होने के बाद यह अब तक सबसे बड़ी गिरावट है. इसके हिसाब से अप्रैल में बिजली के उत्पादन में 22.6 फीसदी की गिरावट आई है. अप्रैल में इसमें 6.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. सरकार की ओर से कहा गया कि लगभग 50 फीसदी यूनिटों में लॉकडाउन की वजह से कोई उत्पादन नहीं हुआ.


इससे पहले सरकार ने आंकड़ों के अभाव में खुदरा महंगाई दर का आंकड़ा भी जारी नहीं किया. फिर भी अनुमान लगाया जा रहा है कि ग्रामीण इलाकों में खुदरा महंगाई दर 9.69 फीसदी रही होगी, जबकि शहरी क्षेत्र में इसके 8.36 फीसदी रहने का अनुमान लगाया जा रहा है.


उत्पादन में गिरावट का जीडीपी पर असर


फैक्ट्री उत्पादन में इस भारी गिरावट का अप्रैल-जून में जीडीपी पर असर पड़ सकता है. फैक्ट्री उत्पादन में इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह देश भर में लागू लॉकडाउन है. जैसे-जैसे लॉकाडाउन में ढील दी जा रही है वैस-वैसे कुछ इलाकों में फैक्टरियों में उत्पादन शुरू हुआ है. लेकिन इसे रफ्तार पकड़ने में अभी वक्त लगेगा. देश के बड़े औद्योगिक राज्यों में कोरोना की स्थिति काबू में नहीं आई है.महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र और तेलंगाना में कोरोना संक्रमण बढा हुआ है. इसलिए मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियां धीमी हैं.