बुनियादी संरचना पर सरकार का लगातार फोकस बना हुआ है और समय पर परियोजनाओं को पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है. उसके बाद भी लगभग 450 परियोजनाओं में समय से देरी के चलते उनकी लागत में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है.


150 करोड़ से ज्यादा लागत वाली परियोजनाएं


न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट में आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से देरी से चल रही परियोजनाओं और उनके असर के बारे में बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2024 के हिसाब से देश में बुनियादी संरचना क्षेत्र की 448 परियोजनाएं समय से लेट हो चुकी हैं और उनकी लगात पहले से अधिक हो चुकी हैं. ये ऐसी परियोजनाएं हैं, जिनकी लागत 150 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा है.


सांख्यिकी मंत्रालय करता है निगरानी


सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा लागत वाली बुनियादी संरचना परियोजनाओं की निगरानी करता है. उसके बाद मंत्रालय समय से देर चल रहीं परियोजनाओं के बारे में रिपोर्ट जारी करता है और बताता है कि उनके चलते लागत में कितनी बढ़ोतरी हो चुकी है.


दरअसल इंफ्रा सेक्टर की परियोजनाएं सीमेंट से लेकर बालू और सरिया आदि की कीमतों को लेकर संवेदनशील होती हैं. इन सभी रॉ मटीरियल्स की कीमतें घटती-बढ़ती रहती हैं.


लगभग 800 परियोजनाएं हो गईं देर


रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2024 तक के आंकड़ों के हिसाब से 150 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा की लागत वाली 1,838 परियोजनाओं में से 792 परियोजनाएं समय से देर हो चुकी हैं. देरी के चलते उनमें से 448 परियोजनाओं की लागत बढ़ चुकी हैं. मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देर हुईं परियोजनाओं के चलते लागत में 5.55 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है.


20 फीसदी से ज्यादा बढ़ी लागत


मंत्रालय के अनुसार, निगरानी वाली 1,838 परियोजनाओं की मूल लागत मिलाकर 27,64,246.50 करोड़ रुपये थी. हालांकि अब उनकी लागत बढ़कर 33,19,601.84 करोड़ रुपये हो गई है. इसका मतलब हुआ कि उनकी लागत में 5,55,355.34 करोड़ रुपये यानी 20.09 फीसदी की बढ़ोतरी आई है. देरी से चल रहीं परियोजनाओं की देरी का औसत समय 35.4 महीने है.


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