पिछले एक साल से ज्यादा समय से पूरी दुनिया छंटनी (Global Layoffs) की मार से परेशान है. नई स्टार्टअप कंपनियां हों या नामी-गिरामी व पुराने कॉरपोरेट, हर कोई छंटनी की इस लहर से प्रभावित है. हाल ऐसा है कि दुनिया की दिग्गज कंपनियां भी छंटनी का सहारा ले रही हैं. स्वाभाविक है कि ऐसे माहौल में किसी को अपनी नौकरी जाने का डर सताए. एक ताजा सर्वेक्षण ने भी इसकी पुष्टि की है.


सर्वे में सामने आई ये बातें


एचआर समाधान प्रदान करने वाली कंपनी जीनियस कंसल्टेंट्स (Genius Consultants) ने इस बारे में लोगों की राय जानने के लिए एक सर्वेक्षण किया. सर्वेक्षण में चौंकाने वाले आंकड़े निकल कर आए. जीनियस कंसल्टेंट्स के इस सर्वेक्षण में 71 फीसदी से ज्यादा लोगों ने बताया कि उन्हें अपनी नौकरी जाने का डर सता रहा है. उन्होंने कहा कि उन्हें बाजार में महंगाई के असर के चलते नौकरी से निकाले जाने का डर है. इसी तरह 36 फीसदी लोगों ने माना कि जरूरत से ज्यादा भर्तियां करने के चलते कर्मचारी नौकरी छोड़कर चले जाते हैं.


इन कारणों से हो रही छंटनी


सर्वेक्षण में लोगों से छंटनी के मौजूदा दौर के प्रमुख कारणों के बारे में भी पूछा गया. इसके जवाब में सर्वेक्षण में शामिल 30 फीसदी लोगों ने कंपनियों के द्वारा लागत कम करने के प्रयासों को जिम्मेदार माना. वहीं 23 फीसदी उत्तरदाताओं ने बताया कि बड़े पैमाने पर आर्थिक स्थिति में आई गिरावट छंटनी के इस दौर के लिए जिम्मेदार है.


इस तरह से तैयार हुई रिपोर्ट


जीनियस कंसल्टेंट्स ने सर्वे के बाद Layoffs to Gauge the Present Work and Mental Scenario of Organisations and Employees नाम से रिपोर्ट जारी की. इसके लिए कंपनी ने बैंकिंग व फाइनेंस से लेकर निर्माण व इंजीनियरिंग, एजुकेशन, एफएमसीजी और हॉस्पिटलिटी जैसे सेक्टरों के 1,537 एक्सीक्सूटिव्स से बात की. सभी उत्तरदाताओं से मिली प्रतिक्रियाओं के आधार पर कंपनी ने यह रिपोर्ट तैयार की.


कंपनियों के सामने ये चुनौती


सर्वे में शामिल सिर्फ 11 फीसदी उत्तरदाताओं ने माना कि तकनीकी प्रगति और मैनुअल लेबर पर निर्भरता छंटनी के लिए जिम्मेदार है. वहीं 57 फीसदी लोगों को मौजूदा स्थिति में अपनी कंपनी में जॉब की सुरक्षा की चिंताएं हैं. सर्वे के अनुसार, कंपनियां उपलब्ध संसाधनों और मौजूदा कार्यबल के बीच संतुलन बनाने में संघर्ष कर रही हैं. उनके सामने खर्च को घटाकर मुनाफा कमाने की क्षमता को बढ़ाने में वित्तीय चुनौतियां आ रही हैं. 


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