RBI MPC Meeting: आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी 6 अप्रैल को तीन दिनों की बैठक के बाद वित्त वर्ष 2023-24 के पहले समीक्षा बैठक के नतीजों का एलान करेगी. जिसके कयास लगाया जा रहा है कि आरबीआई रेपो रेट में एक चौथाई फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती है. लेकिन उसके पहले बिजनेस चैंबर एसोचैम के नए प्रेसीडेंट अजय सिंह ने आरबीआई से और ब्याज दरें नहीं बढ़ाने की अपील की है. उन्होंने मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी से मौजूदा वैश्विक बिजनेस के हालात को देखते हुए और ज्यादा ब्याज दरें बढ़ाने पर रोक लगाने की मांग की है. 


अजय सिंह ने कहा कि दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत सबसे तेज गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था है. अर्थव्यवस्था में तेज विकास तब है जब वैश्विक संकट देखने को मिल रहा है. एनर्जी कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है और दुनिया के बड़े दिग्गज अर्थव्यवस्था वाले देशों में मंदी आने की आशंका जाहिर की जा रही है. उन्होंने कहा कि इसी के मद्देनजर एसोचैम और ज्यादा ब्याज दरें बढ़ाने पर विराम लगाने का पक्षधर है. ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों को यह संकेत की जरूरत है कि ब्याज दरें कम हो रही हैं. वर्ना इन सेक्टर्स की मुश्किलें बढ़ सकती है. 


उन्होने कहा कि ये कयास लगाया जा रहा है कि रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की जा सकती है. लेकिन हमारा मानना है कि अर्थव्यवस्था में गिरावट उस स्तर पर है कि यहां से ब्याज दरों में किसी भी बढ़ोतरी का सामना करना मुश्किल हो सकता है. एसोचैम ने कहा कि केवल बड़े पैमाने पर सार्वजनिक निवेश से कैपिचल एक्सपेंडिचर को गति नहीं दी जा सकती है और देश की अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ाने के लिये निजी क्षेत्र की भागीदारी जरूरी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने उद्योग जगत से सरकार के पूंजीगत व्यय बढ़ाने के फैसले के अनुरूप निवेश में तेजी लाने और केंद्रीय बजट 2023-24 में पेश अवसरों का लाभ उठाने का आग्रह किया था. 


6 अप्रैल 2023 को आरबीआई मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के नतीजों का एलान करेगा. इससे पहले आरबीआई छह चरणों में रेपो रेट को 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर चुकी है. यानि एक साल से भी कम समय में 2.50 फीसदी रेपो रेट बढ़ाया जा चुका है. 


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