Noida Property News: गौतम बुद्ध नगर स्टांप और रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ने रियलटर्स को नोटिस जारी कर प्रॉपर्टी रजिस्टर कराने को कहा है. डिपार्टमेंट ने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ एफआईआर दाखिल की जा सकती है. विभाग ने सभी रियलटर्स को नोटिस जारी करते हुए कहा कि अगर एक महीने के भीतर रजिस्ट्री नहीं कराते हैं तो आईपीसी के धारा के तहत उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
एचटी के एक रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने कहा है कि करीब एक लाख के करीब अपार्टमेंट्स हैं जिनकी रियलटर्स द्वारा रजिस्ट्री नहीं कराई गई है जिसके चलते 200 प्रोजेक्ट्स में रेवेन्यू का नुकसान हो रहा है. अधिकारियों के मुताबिक रियलटर्स ने बगैर रजिस्ट्री एग्जीक्यूट किए फ्लैट्स का पजेशन दे दिया. नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटीज को 50,000 करोड़ रुपये ना देकर वे डिफॉल्टर हो गए हैं. गौतम बुद्ध नगर के डीएम सुहास एलवाई ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के तहत भी रियलटर्स को नोटिस जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने बात नहीं मानी तो उनके खिलाफ उचित कदम उठाया जाएगा.
दरअसल ये रियलटर्स बकाये पर लगने वाले ब्याज को 23 फीसदी से घटाकर 8.5 फीसदी करने की मांग कर रहे थे इसलिए उन्होंने बकाये रकम का भुगतान नहीं किया है. रजिस्ट्री तभी संभव है जब बिल्डिंग ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट के साथ तैयार है और सभी बकाये का भुगतान किया जा चुका है. जिसके बाद प्रॉपर्टी के कुल कॉस्ट के रूप में 7 फीसदी रकम सरकार को स्टॉप ड्यूटी देना होता है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश चैप्टर के क्रेडाई के प्रेसीडेंट और काउंटी ग्रुप को प्रोमोटर अमित मोदी के मुताबिक हम लगातर रियलटर्स से अपील करते रहे हैं कि वे तभी पजेशन दे जब रजिस्ट्री की जा चुकी हो और स्टॉप ड्यूटी का भुगतान किया जा चुका हो. अगर कानूनी वजह से रजिस्ट्री नहीं हुई है तो होमबायर्स को स्टॉप पेपर खरीदकर फीस का भुगतान करना चाहिए.
विभाग ने नोटिस में होमबायर्स से भी कहा है कि वे अपने रियलटर्स को फ्लैट की रजिस्ट्री के लिए कहें क्योंकि इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है. विभाग के मुताबिक अगर स्टांप फीस का भुगतान कर सब-लीज एग्रीमेंट किया गया है तो वे फ्लैट मालिकों और रियलटर्स को परेशान नहीं करेंगे. हालांकि, घर खरीदारों का कहना है कि सरकार को उनकी मांगों को पूरा करने के लिए दखल देना चाहिए. रियलटर्स ने नियमों का पालन किए बिना पजेशन की पेशकश की है और अब अधिकारियों को बकाया राशि का भुगतान नहीं करना चाहते हैं.
होमबॉयर्स का यह भी तर्क है कि एग्रीमेंट टू सब लीज उनकी समस्या का समाधान नहीं है. सब लीज के समझौते में, होमबायर्स को कई चरणों में नुकसान उठाना पड़ता है क्योंकि यह प्रक्रिया राज्य सरकार को राजस्व की गारंटी देती है लेकिन उनके हितों की रक्षा नहीं करती है. सब लीज के इस समझौते के साथ एक समस्या यह है कि खरीदार को रजिस्ट्री अमाउंट का दो बार भुगतान करना पड़ता है. वहीं होमबायर बैंक से लोन नहीं ले सकता है, किसी और को फ्लैट ट्रांसफर नहीं कर सकता है या अपनी यूनिट बेच नहीं सकता है. जब तक रियलटर्स बकाया राशि का भुगतान करके रजिस्ट्री के मुद्दे को हल नहीं करते हैं तब तक होमबॉयर्स अनिश्चित स्थिति में होंगे.
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