2018 में तनख्वाह बढ़ने की औसत दर रह सकती है 9.4 फीसदी
20 औद्योगिक क्षेत्रों की हजार से भी ज्यादा कंपनियों के बीच कराए गए सर्वे के आधार पर एऑन का कहना है कि कंपनिया तनख्वाह देने में ज्यादा परिपक्वता और बुद्धिमानी का परिचय दे रही हैं.
नई दिल्लीः विभिन्न कंपनियों में पूरे साल के कामकाज का आंकलन जोरो पर है और इसी के साथ ये चर्चा भी गरमाने लगी है कि 2018 में तनख्वाह बढ़ेगी भी की नहीं, और अगर बढ़ेगी तो ये कितनी बढ़ेगी. जानी मानी ग्लोबल प्रोफेशनल सर्विस कंपनी एऑन का अनुमान है कि 2018 में तनख्वाह बढ़ने की औसत दर 9.4 फीसदी रहेगी. ये बीते साल के करीब-करीब बराबर है.
20 औद्योगिक क्षेत्रों की हजार से भी ज्यादा कंपनियों के बीच कराए गए सर्वे के आधार पर एऑन का का कहना है कि कंपनिया तनख्वाह देने में ज्यादा परिपक्वता और बुद्धिमानी का परिचय दे रही हैं. सर्वे के आधार पर ये बात भी सामने आयी कि सबसे बढ़िया काम करने वाले यानी टॉप परफॉरमर की औसत तनख्वाह 15.4 फीसदी की दर से बढ़ सकती है. ये औसत प्रदर्शन करने वालों से करीब 1.9 गुना ज्यादा होगा. हालांकि हैरान करने की बात ये है कि सबसे अच्छा काम करने वालों की संख्या में गिरावट आयी है.
अलग-अलग औद्योगिक क्षेत्रों की बात करें तो प्रोफेशनल सर्विसेज, कंज्यूमर इंटरनेट, लाइफ साइंसेज, ऑटोमोटिव और कंज्यूमर प्रोडक्ट से जुड़ी कंपनियो में तनख्वाह बढ़ने की औसत दर दोहरे अंक में रहने का अनुमान है. कंज्यूमर इंटरनेट कंपनियों की बात करें तो वहां भले ही बढ़ोतरी की औसत दर अभी भी दोहरे अंक में बनी हुई है, लेकिन पिछले तीन सालों में यहां 2.5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. अब इसका एक मतलब ये निकाला जा सकता है कि डाटा की कीमत मे हो रही लगातार गिरावट से कंपनियों की आमदनी घटी, जिसकी वजह से तनख्वाह में बढ़ोतरी की दर कम हो गयी है.
दूसरी ओर हाईटेक या फिर आईटी सेक्टर की बात करें तो वहां पर हाल के दिनों में काफी उतार-चढाव देखने को मिला है, फिर भी वहां तनख्वाह बढ़ने की औसत दर 9.5 फीसदी रहने का अनुमान है. हालांकि थर्ड पार्टी आईटी सर्विसेज की बात करें तो वहां पर दर 6.2 फीसदी रह सकती है. ध्यान रहे कि थर्ड पार्टी आईटी सर्विसेज देश में सबसे ज्यादा रोजगार मुहैया कराती है. सर्वे में एक और बात सामने निकल कर आयी कि पिछले कुछ सालों के दौरान कंपनी के शीर्ष और वरिष्ठ अधिकारियों की तनख्वाह मे बढ़ोतरी की दर घटी है. यहां यह भी गौर करने की बात है कि शीर्ष औऱ वरिष्ठ अधिकारियों के लिए आधार काफी ऊंचा है, लिहाजा थोड़ी भी बढ़ोतरी बड़ी रकम मे तब्दील हो जाती है.
जहां तक नौकरी छोड़ने की बात करें तो यहां पर लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. पिछले दशक में ये दर 20 फीसदी थी जो अब 16 फीसदी के करीब आ गयी है. हालांकि अभी भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां नौकरी छोड़ने की दर औसत से ज्यादा है. ऐसे क्षेत्रों में हॉस्पिटलिटी/रेस्त्रां/ट्रैवल (27.1 फीसदी), कंज्यूमर इंटरनेट (23.3 फसीदी), फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन (21.9 फीसदी), रिटेल (20.3 फीसदी), प्रोफेशनल सर्विसेज (20.1 फीसदी) और टेलिकॉम (18.3 फीसदी) मुख्य रुप से शामिल है.