गिग वर्कर्स के लिए पहले के मुकाबले पैसा कमाना मुश्किल हुआ, क्यों घट रही है इनकम- जानें वजह
Food Delivery Partners Salary: एक स्टडी के मुताबिक फूड डिलीवरी वर्कर्स की औसत मंथली इनकम साल 2019-2022 के दौरान घट गई है और उनको पहले के मुकाबले अब कम आय मिल पा रही है.
Food Delivery Partners Salary: आजकल फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स की पॉपुलैरिटी तेजी से बढ़ती जा रही है. सड़कों पर, रेसीडेंशियल सोसायटी, घरों, रेस्टोरेंट्स के पास या अन्य कई जगहों पर फूड डिलीवरी पार्टनर्स आपको दिखते रहते होंगे. हालांकि अब इनके लिए ये काम पहले की तरह फायदे का सौदा नहीं रह गया है और इनकी इनकम लगातार घट रही है. ये एक स्टडी से सामने आया है कि साल 2019 से साल 2022 के दौरान गिग वर्कर्स के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा पैसा कमाना मुश्किल होता जा रहा है.
फूड डिलीवरी वर्कर्स की औसत मंथली इनकम साल 2019-2022 के दौरान घटी
एक स्टडी जिसका शीर्षक 'सोशल इकोनॉमिक इंपेक्ट ऐसेसमेंट ऑफ फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म वर्कर्स' है, इसमें इस बात का उल्लेख है कि फूड डिलीवरी वर्कर्स की औसत मंथली इनकम साल 2019-2022 के दौरान घट गई है. नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) की इस स्टडी में फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स के 924 फूड डिलीवरी पार्टनर्स के हवाले से बताया गया है कि उनको पहले के मुकाबले अब कम आय मिल पा रही है. ये स्टडी हाल ही में 28 अगस्त को जारी की गई है.
ज्यादा समय तक काम करने के बावजूद कम पैसा कमा रहे गिग वर्कर्स
इस सर्वे के मुताबिक गिग वर्कर्स की इनकम अब घटकर 20,744 रुपये प्रति महीना पर आ गई है जो कि इनके समकक्ष ग्रुप्स की 22,494 रुपये प्रति महीना की इनकम से कम है. लेबर फोर्स सर्वे में जानकारी दी गई है कि समकक्ष ग्रुप या पीयर ग्रुप में 18-35 साल के उम्र के वर्कर्स हैं जिनके पास कम से कम हायर सेकेंडरी एजूकेशन है. इसके अलावा एक और चिंताजनक बात ये है कि फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म वर्कर्स अपने पीयर ग्रुप के मुकाबले कम से कम 23 फीसदी ज्यादा समय तक काम करते हैं.
महंगाई का ऊंचा स्तर डिलीवरी पार्टनर्स के लिए बढ़ा रहा मुश्किलें
शिफ्ट में काम करने वाले वर्कर्स 2019-2020 में जरूर मुनाफे में आ रहे थे पर साल 2021 और 2022 में स्थिति बदल गई है. इसके पीछे बड़ा कारण ये भी है कि महंगाई इन 2 सालों में काफी ऊंचे लेवल पर रही है. इसके अलावा फ्यूल की कीमतों में बढ़ोतरी ज्यादा तेजी से हुई है जिसके असर से डिलीवरी पार्टनर्स का खर्च बढ़ा है.
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