Aviation Industry: रुपये के एक्सचेंज रेट में गिरावट और विमानन ईंधन (एटीएफ) की कीमतों में उबाल से घरेलू एयरलाइन उद्योग को चालू वित्त वर्ष में 15,000 से 17,000 करोड़ रुपये का शुद्ध नुकसान हो सकता है. रेटिंग एजेंसी इक्रा ने रिपोर्ट में कहा कि बीते वित्त वर्ष में घरेलू एविएशन इंडस्ट्री को करीब 23,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, 31 मार्च, 2023 तक उद्योग के लिए कर्ज का स्तर लगभग एक लाख करोड़ रुपये (पट्टा देनदारियों सहित) होने की संभावना है.


जेट फ्यूल या एटीएफ की कीमतों का सबसे ज्यादा असर
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट और जेट फ्यूल या ATF की कीमतों में बढ़ोतरी का भारतीय एयरलाइन कंपनियों की लागत संरचना पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है. विमान ईंधन का किसी भी एयरलाइन की ऑपरेशनल कॉस्ट में करीब 45 फीसदी हिस्सा होता है जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्च का 35 से 50 फीसदी अमेरिकी डॉलर से संचालित होता है.


150 से 170 अरब रुपये का घाटा होने की आशंका
इक्रा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में घरेलू यात्रियों की संख्या सालाना आधार पर 57.7 फीसदी की मजबूत वृद्धि के साथ 8.42 करोड़ हो गई है. इक्रा के वाइस प्रेसिडेंट और क्षेत्र प्रमुख सुप्रियो बनर्जी ने कहा, "यात्रियों की संख्या में अपेक्षित सुधार के बावजूद घरेलू उद्योग को वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 150 से 170 अरब रुपये का शुद्ध घाटा होने की आशंका है."


ATF के बढ़े दाम का होगा असर
उन्होंने कहा, "इस घाटे का कारण विमान ईंधन की कीमतों में तेजी और हाल में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट है. इन दोनों का विमानन कंपनियों की परिचालन लागत पर गंभीर असर पड़ता है."


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