नई दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक, केनरा बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा सहित एक दर्जन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के किशोर योजना में बैड लोन अकाउंट की संख्या 31 मार्च, 2019 की तुलना में बढ़कर 30 सितंबर 2019 को 107 प्रतिशत हो गई है.


आरटीआई के तहत 12 बैंकों से मिले अलग-अलग आंकड़ों के मुताबिक, मंजूर किए गए कुल कर्ज में किशोर योजना के तहत 30 प्रतिशत लोन दिया गया.


आंकड़ों के मुताबिक तरुण योजना में, एनपीए मूल्य सितंबर में तेजी से 45 प्रतिशत बढ़कर 3,425 करोड़ रुपये हो गया, जो मार्च में 2,353 करोड़ रुपये था. हालांकि, बैड लोन अकाउंट की संख्या में छह महीने की अवधि के दौरान 13 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.


रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एमके जैन ने मंगलवार को कहा कि एक तरफ इस योजना से कई लाभार्थियों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद मिली है. वहीं, इनमें कुछ कर्जदारों में एनपीए के बढ़ते स्तर को लेकर चिंता बढ़ी है. उन्होंने कहा कि बैंकों को ऐसे कर्ज देते समय ये सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि लोन लेने वाले की भुगतान क्षमता कैसी है.


इसके पहले रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर रघुराम राजन ने भी लोकसभा प्राक्कलन समिति को दिए एक नोट में, सरकार को अगले संकट पर ध्यान केंद्रित करने की चेतावनी दी थी.


अप्रैल, 2015 में मुद्रा ऋण योजना शुरू होने के बाद जून, 2019 तक 19 करोड़ कर्ज दिए गए, जिसमें से मार्च 2019 तक 3.63 करोड़ खाते समय पर कर्ज नहीं चुका पाए.


क्या है मुद्रा योजना?


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल, 2015 में मुद्रा ऋण योजना की शुरुआत की थी. मुद्रा योजना के तहत नया बिजनेस शुरू करने वाले या अपने बिजनेस को बढ़ाने वालों को कर्ज मुहैया कराया जाता है. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत तीन श्रेणियां बनाई गई हैं. शिशु योजना में 50,000 तक का लोन, किशोर योजना 5 लाख तक का लोन, तरूण योजना में 5 लाख से लेकर 10 लाख रुपए तक का लोन दिया जाता है.


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