नई दिल्लीदेश में बैंकों का घाटा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. चार बैंकों को एक खरब 21 अरब 54 करोड़ 21 लाख का घाटा हुआ है. बैंकों पर ये बोझ बैड लोन की वजह से बढ़ता जा रहा है. बैंक एनपीए बढ़ने से रोकने में नाकाम हैं. इसी के चलते रिजर्व बैंक ने 21 में से 11 बैकों पर रोक लगा दी है. इनमें देना बैंक भी शामिल है.


साल की आखिरी तिमाही में किस चार बैंकों को हुआ घाटा


साल की आखिरी तिमाही में केनरा बैंक को 4860 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. वहीं, इलाहाबाद बैंक को 3509 करोड़, यूको बैंक को 2134 करोड़ और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को 1650 करोड़का घाटा हुआ है.


क्या है एनपीए?


आरबीआई के मुताबिक जब लोन का पैसा तीन महीनों तक वापिस नहीं आता तो उसे एनपीए मान लिया जाता है. बैंकिंग की भाषा में एनपीए को 'नॉन परफॉर्मिंग असेट्स' कहते हैं. जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले को 'विलफुल डिफॉल्टर' कहते हैं. साल 2017 में 12,553 फ्रॉड हुए,जिनमें बैंकों को 18170 करोड़ रुपए का चूना लगा था. देश का 77 फीसदी एनपीए कॉर्पोरेट घरानों की वजह से है.


आरबीआई ने बैंकों पर क्यों लगाई ये रोक?


एनपीए की साढ़े नौ लाख करोड़ की रकम ने बैकिंग सर्विस का कुछ इस तरह भट्टा बैठाया कि 21 में से 11 बैकों पर रिजर्व बैंक ने रोक लगा दी है. इनमें देना बैंक भी शामिल है. अब ये बैंक ना तो नया कर्ज दे सकते है और ना ही नई नौकरियां. सुधारात्मक कार्रवाई के लिए आरबीआई ने ये रोक लगाई है.


महीने के आखिर में 48 घंटे की हड़ताल पर जा रहे हैं बैंककर्मी


बैंकों का एनपीए बीते चार बरस में जिस तरह बढ़ा है, उसने बैंकों की कमर तोड़ कर रख दी है. रिजर्व बैंक के सख्त कदमों के बाद बैंकों के लिए एनपीए छिपाना अब मुश्किल हुआ है. मोदी सरकार के दौर में न तो एपीएम कम हुआ, न उस पर अंकुश ही लगा. बैंकों के बढ़ते एनपीए और घाटे ने क्रेडिट ग्रोथ पर असर डाला है. यानी बैंक कर्ज नहीं दे रहे और कर्ज नहीं दे रहे तो बैंकों के मुनाफे पर असर पड़ा है. बैंकों में जमा ब्याज दर भी लगातार घट रही है. घाटे की वजह से बैंक वेतनकर्मियों का वेतन नहीं बढ़ा पा रहे हैं. इसी वजह से इस महीने के आखिर में बैंककर्मी 48 घंटे की हड़ताल पर जा रहे हैं.


राज्यसभा सासंद ने वित्त मंत्रालय को लिखा पत्र


पिछले हफ्ते राज्यसभा सासंद संजय ने वित्त मंत्रालय के नाम एक पत्र लिखा है. ईडी के डायरेक्टर के नाम इस तीन पेजी खत में उन 18 उघोगपतियों के नामों का जिक्र है जो देश में है और जिन्होंने अरबों रुपया लोन लेकर लौटाया नहीं है.


पत्र में क्या लिखा है?


अपने पत्र में राज्यसभा सासंद संजय ने कहा है, ‘’जिस तरह अरबो रुपए लेकर उघोगपति फरार हो गए, उसकी फेरहिस्त देश के सामने है.’’ पत्र में ये सवाल भी उठाया गया है कि देश के जिन उघोगपतियों ने लोन लेकर नहीं लौटाया है, उनके पासपोर्ट तक जब्त क्यों नहीं किए गए.


फिलहाल सीबीआई 44 बैकों के 292 केसों की जांच कर रही है औऱ इसी फेरहिस्त में सीबीआई ने सिर्फ इसी बरस एक हजार से ज्यादा छापे मारे हैं. वहीं, एसएफआईओ बैंकिग सेक्टर से जुड़े फ्रॉड के 300 मामलों की जांच कर रही है. एसएफआईओ का मतलब सीरियस फ्रॉड जांच आफिस होता है. ये एजेंसी धोखाधड़ी के मामलों की जांच करती है.


सीबीआई चार्जशीट में मेहुल चौकसी का नाम नहीं


लोन देने का सिलसिला नीरव मोदी और मेहूल चोकसी के केस में भी जारी रहा. 12 हजार करोड़ के पीएनबी घोटाले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. लेकिन सीबीआई की चार्जशीट में मेहुल चौकसी का नाम नहीं है. जबकि 31 जनवरी को हुई एफआईआर में मेहुल चौकसी नाम दर्ज था. मुबंई में दायर सीबीआई चार्जशीट में नीरव मोदी और उनके बाई निशाल मोदी और नीरव मोदी की कंपनी के एक्सक्यूटिव सुभाष परब के अलावा पीएनबी के पूर्व सीईओ अनंता सुब्रमणयम का भी जिक्र है.


नीरव मोदी और मेहुल चौकसी पर क्या आरोप हैं?


नीरव मोदी और मेहुल चौकसी पर 12 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है. पीएनबी के अधिकारियों से मिलीभगत करके नीरव और मेहुल ने घोटाले को अंजाम दिया है. नीरव ने LoU यानि लेटर ऑफ अंडर टेकिंग के जरिए बैंकों से लोन लिया था, लेकिन वापस नहीं किया. नीरव मोदी के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हो चुका है. उसका भारतीय पासपोर्ट भी रद्द किया जा चुका है.