India Investments In Bangladesh: हाल के वर्षों में भारतीय कॉरपोरेट सेक्टर ने बांग्लादेश में जमकर निवेश किया है इसकी वजह है बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में आई मजबूती, बड़ी जनसंख्या, वहां मौजूद प्राकृतिक गैस का भंडार और सस्ता लेबर. बांग्लादेश भारत के लिए साउथईस्ट एशिया (Southeast Asia) के लिए गेटवे भी माना जाता है. दूसरे पड़ोसी देशों के मुकाबले बांग्लादेश के साथ भारत के आर्थिक राजनीतिक रिश्ते बेहतर रहे हैं जिससे भारत का कॉरपोरेट जगत निवेश के लिए आकर्षित हुआ है. लेकिन बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़कर चले जाने और बांग्लादेश की आर्मी के अपने हाथों में सत्ता की कमान आने के बाद भारतीय कॉरपोरेट जगत के निवेश की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. हाल के दिनों में वहां बड़े पैमाने पर हिंसा देखने को मिली है.
भारतीय कॉरपोरेट जगत ने किया निवेश
भारतीय कॉरपोरेट सेक्टर ने सबसे ज्यादा बांग्लादेश में टेक्सटाइल्स, पावर, फार्मासुटिकल्स जैसे सेक्टर्स में निवेश किया है जिससे वहां की अर्थव्यवस्था को गति मिली है साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़े हैं. अनिल धीरुभाई अंबानी ग्रुप की पावर कंपनी रिलायंस पावर के अलावा अडानी समूह, सार्वजनिक क्षेत्र की पावर कंपनी एनटीपीसी ने भी बांग्लादेश में निवेश किया है. इसके अलावा टाटा मोटर्स, हीरो मोटोकोर्प, सन फार्मा, गोदरेज और सीएट टायर्स की बांग्लादेश में मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी है.
रिलायंस और अडानी समूह है मौजूद
अनिल अंबानी की रिलायंस पावर बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड के साथ मिलकर ढाका के नजदीक मेघनाघाट में 3000 मेगावाट की क्षमता वाली एलएनजी बेस्ड पावर प्रोजेक्ट लगा रही है. इसके अलावा कंपनी पेट्रोबांग्ला के साथ मिलकर एलएनजी टर्मिनल भी चटगांव में सेटअप कर रही है. गौतम अडानी की अडानी पावर लिमिटेड की सब्सिडियरी कंपनी अडानी पावर झारखंड के गोड्डा स्थित पावर प्लांट से 1600 मेगावाट बिजली की सप्लाई बांग्लादेश को कर रही है.
गारमेंट्स इंडस्ट्री में बांग्लादेश का दबदबा
पिछले कुछ वर्षों में भारत की कई टेक्सटाइल कंपनियां बांग्लादेश की तरफ मुखातिब हुई हैं. 2006 से ही भारतीय टेक्सटाइल और अप्पैरल कंपनियों ने बांग्लादेश का रूख करना शुरू कर दिया था. भारत के मुकाबले कम मिनिमम वेज होने का बांग्लादेश को बड़ा फायदा मिलता रहा है. गारमेंट्स एक्सपोर्ट के मामले में बांग्लादेश भारत से कहीं आगे है. साल 2013 से 2023 के बीच बांग्लादेश का गारमेंट्स 69.6 फीसदी के दर से बढ़ा है जबकि वियतनाम का 81.6 फीसदी के दर से बढ़ा है. जबकि भारत का गारमेंट एक्सपोर्ट महज 4.6 फीसदी के ही दर से बढ़ा है. इसके चलते ग्लोबल गारमेंट ट्रेड में भारत की हिस्सेदारी लगातार घटती रही है. भारत से रेडीमेड गारमेंट्स का एक्सपोर्ट 2022-23 में 16 बिलियन डॉलर का रहा था जबकि इसी अवधि में बांग्लादेश ने भारत से 3 गुना ज्यादा 47 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया था. लेकिन बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और उठापटक भारत की गारमेंट्स कंपनियों के लिए बड़ा अवसर लेकर आ सकता है.
ये भी पढ़ें