Bank Crisis Of America: अमेरिका में पिछले एक हफ्ते में दो बड़े बैंक दिवालिया हो चुके हैं. इन बैंकों का नाम सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Crisis) और सिग्नेचर बैंक (Signature Bank) है. दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी के दो बड़े बैंकों के दिवालिया होने के बाद लोगों को साल 2008 की आर्थिक मंदी याद आ गई है. इसके बैंकिंग संकट का असर दुनिया भर में दिखने लगा है.
स्विट्जरलैंड का क्रेडिट सुइस बैंक (Credit Suisse Bank Crisis) भी मुसीबत में फंसता नजर आ रहा है. ऐसे में भारत में भी इसका असर दिख रहा है. बैंकों के शेयरों में भारी दबाव देखने को मिल रहा है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि अगर भारत में कोई बैंक डूबता है तो ग्राहकों पर इसका क्या असर पड़ता है. क्या भारत में ग्राहकों को किसी तरह के इंश्योरेंस की सुविधा मिलती है. आइए इस बारे में जानते हैं.
SVB के ग्राहकों को क्या मिलेगा इंश्योरेंस का फायदा?
ज्यादातर स्टार्टअप और टेक कंपनियों को लोन देने वाली सिलिकॉन वैली बैंक ने 10 मार्च को दिवालिया हो गया था. इसके बाद बैंक के ग्राहकों और निवेशकों की बीच अफरा- तफरी का माहौल बन गया था. मगर अमेरिका के फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (Federal Deposit Insurance Corporation) ने लोगों को भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि उनका पैसा बैंक में सुरक्षित है.
अमेरिका के FDIC के नियम के अनुसार अगर देश में कोई भी बैंक डूबता है तो निवेशकों को 2.5 लाख डॉलर यानी लगभग 2 करोड़ रुपये तक इंश्योरेंस का लाभ मिलता है. वहीं इससे ज्यादा की राशि मिलना सरकार के दखल पर ही निर्भर करती है.
भारत में भी निवेशकों को मिलता है इंश्योरेंस कवर
गौरतलब है कि भारत में भी बैंक ग्राहकों को अमेरिका की तरह इंश्योरेंस कवर का लाभ मिलता है. इस इंश्योरेंस कवर के जरिए ग्राहकों को बैंक डूबने या पैसे न निकल पाने की स्थिति में एक निश्चित राशि मिलना संभव होता है.
अमेरिका के FDIC की तरह यह काम भारत में DICGC (The Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) करता है. इसके के नियमों के अनुसार बैंक डूबने की स्थिति में ग्राहकों को 5 लाख रुपये की अधिकतम रकम मिल सकती है.
किन बैंकों में मिलती है DICGC के इंश्योरेंस की सुविधा?
भारत में हर कमर्शियल बैंक और कोऑपरेटिव बैंकों के ग्राहकों को DICGC के इंश्योरेंस कवर का लाभ मिलता है. अगर आप अपने बैंक के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो बैंक में जाकर इसके बारे में अधिकारियों से पूछ सकते हैं.
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