Bank of England: ब्रिटेन 2022 के अंत तक एक साल की मंदी की चपेट में आ जाएगा, जो 2008 के वित्तीय संकट के बाद सबसे लंबा और 1990 के दशक जितना गहरा होगा. एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सर्दी में गैस और ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण बैंक ऑफ इंग्लैंड ने एक एक चेतावनी में इसका खुलासा किया है. बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा ब्याज दरों को 0.5 फीसदी बढ़ाकर 1.75 फीसदी करने के बाद ब्रिटेन की हालत और भी खराब हो गई है जोकि 1997 के बाद से सबसे अधिक एकल बढ़ोतरी है.
बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों को बढ़ाया
कल बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में 0.50 फीसदी का इजाफा कर दिया है और ये बढ़कर 1.75 फीसदी पर लाई गई हैं. ये साल 1995 के बाद से किसी एक बार में ब्याज दरों में किया गया सबसे बड़ा इजाफा है. इसके साथ ही ग्रोथ प्रोजेक्शन और आगे के आउटलुक को लेकर गहरी चिंता जताई गई है. बैंक की ओर से कहा गया है कि गंभीर आर्थिक स्थिति में वास्तविक घरेलू आय में लगातार दो वर्षों तक गिरावट आएगी, 1960 के दशक में रिकॉर्ड शुरू होने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है.
रूस की कार्रवाई जिम्मेदार- बैंक ऑफ इंग्लैंड
महामारी और युक्रेन में युद्ध के बाद खाद्य, ईंधन, गैस और कई अन्य वस्तुओं की कीमत बढ़ रही है. गवर्नर एंड्रयू बेली ने आर्थिक संकट और 'ऊर्जा झटके' के लिए 'रूस की कार्रवाइयों' को जिम्मेदार ठहराया है. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक ये खबरें आने के बाद आम जनता में भी चिंता बढ़ सकती है. ऊर्जा की कीमतें अर्थव्यवस्था को पांच-तिमाही मंदी में धकेल देंगी - सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2023 में प्रत्येक तिमाही में सिकुड़ जाएगी और 2.1 फीसदी तक गिर जाएगी. बैंक ने गुरुवार को कहा, "उसके बाद विकास ऐतिहासिक मानकों से बहुत कमजोर है, यह भविष्यवाणी करते हुए कि 2025 तक शून्य या थोड़ा विकास होगा."
भारत में भी आज मॉनिटरी पॉलसी कमिटी के फैसलों का एलान
भारत में भी आज देश का केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया मॉनिटरी पॉलसी कमिटी के फैसलों का एलान करेगा और इसमें नीतिगत दरों में 0.40-050 फीसदी की बढ़ोतरी करने की आशंका जताई जा रही है. ग्लोबलाइजेशन के दौर में विश्व की बड़ी इकोनमी के फैसलों का ध्यान एक-दूसरे देशों में रखा जाता है और भारत पर भी ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर आ रहे संकट का ध्यान रखना जरूरी होगा.
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