Bank Overdraft Facility: अचानक जरूरत पड़ गई है पैसों की, बैंक की इस सुविधा का लाभ उठाकर दूर करें परेशानी
Overdraft Facility: बता दें कि ओवरड्राफ्ट का रीपेमेंट आप लोन की तरह किश्तों में नहीं कर सकते हैं. इसका पेमेंट आपको केवल एक ही बार में करना होता है.
Overdraft Facility of Bank: जीवन में कई बार ऐसा समय आता है जब हमें पैसे की अचानक (Funds Required in Emergency) जरूरत पड़ जाती है. ऐसे में बैंक द्वारा दी जाने वाली ओवरड्राफ्ट की सुविधा (Bank Overdraft Facility) आपके बहुत काम आ सकती है. इस सुविधा के अनुसार आप बैंक से लोन की तरह कहीं पैसे लेते हैं लेकिन, इसे किस्तों के रूप में चुकाने के बजाय आपको इसे एक बार में ही चुकाना (One Time Payment) पड़ता है.
ओवरड्राफ्ट की सुविधा (Overdraft Facility) के लिए किसी तरह की सिक्योरिटी (Security) और गारंटी (Guaranteed) भी नहीं ली जाती है. इसके अलावा कई बार बैंक ओवरड्राफ्ट की सुविधा सिक्योरिटी और गारंटी के साथ भी देते हैं. गारंटी के साथ बैंक की ओवरड्राफ्ट सुविधा को सिक्योरिटी ओवरड्राफ्ट (NBFC) कहा जाता है. अगर आप बैंक ओवरड्राफ्ट को चुकाने में सक्षम नहीं होंगे तो बैंक आपकी प्रापर्टी को बेचकर अपने पैसे वसूल लेगी. बता दें कि बैंक ओवरड्राफ्ट की सुविधा पर ग्राहकों से ब्याज वसूलते हैं.
क्या है ओवरड्राफ्ट (overdraft) की विशेषताएं-
1. ओवरड्राफ्ट सुविधा लेने की सीमा-
आपको बता दें कि ओवरड्राफ्ट सुविधा लेने की सीमा ग्राहक (Customer) और बैंक के संबंधों पर निर्भर करती है. अगर बैंक और ग्राहक के अच्छे संबंध है यानी ग्राहक का लोन चुकाने का रिकॉर्ड अच्छा रहा है तो उसे बैंक ओवरड्राफ्ट की सुविधा आसानी से दे देगी.
2. ओवरड्राफ्ट को आप EMI के रूप में भुगतान नहीं कर सकते हैं-
आपको बता दें कि ओवरड्राफ्ट का रीपेमेंट (Overdraft Repayment) आप लोन की तरह किश्तों में नहीं कर सकते हैं. इसका पेमेंट आपको केवल एक ही बार में करना होता है. इसके साथ ही पेमेंट कैश के रूप में ही किया जा सकता है. इसके साथ ही अगर बैंक ने इसका भुगतान जल्दी मांगा है तो जल्द से जल्द इसका भुगतान करें.
3. ओवरड्राफ्ट की ब्याज दरें-
ओवरड्राफ्ट (overdraft) राशि पर बैंक द्वारा ब्याज लगाया जाता है. इसमें ब्याज महीने के आधार पर नहीं बल्कि दैनिक आधार पर किया जाता है.
4. जॉइंट ओवरड्राफ्ट की भी है सुविधा-
आपको बता दें कि बैंक द्वारा जॉइंट ओवरड्राफ्ट की सुविधा मिलती है. इसमें पैसे तो एक ही व्यक्ति को मिलता है लेकिन, इसकी जिम्मेदारी दोनों लोगों की बराबर होती है. अगर रीपेमेंट नहीं करते हैं तो बैंकों को दी गई गारंटी दांव पर होती है.
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