कोरोना संक्रमण से पैदा आर्थिक संकट से निकलने में देश को निकलने में लंबा वक्त लग सकता है. सरकार के राहत पैकेजों के बावजूद अर्थव्यवस्था की जमीनी हालत सुधरती नहीं दिख रही है. इसका एक सबूत जुलाई-सितंबर तिमाही में बैंक की ओर से लोन बांटने में गिरावट के तौर पर देखा जा सकता है. इस गिरावट से पता चलता है कि देश में आर्थिक गतिविधियां जोर नहीं पकड़ पा रही हैं. सितंबर तिमाही में बैंकों की ओर से कर्ज बांटने की दर घट कर 5.8 फीसदी हो गई. एक साल पहले 2019-20 की इसी तिमाही में इसमें 8.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी


आरबीई के आंकड़े दिखा रही है निराशाजनक तस्वीर 


आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर, 2020 के अनुसार बैंकों का सकल जमा सालाना आधार पर चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में 11 फीसदी बढ़ा जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में इसमें 10.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. इसके मुताबिक बैंकीं ओर से कर्ज की बढ़ोतरी में कमी आबादी के सभी वर्ग में दर्ज की गई. ग्रामीण आबादी के मामले में यह 11.2 फीसदी रही जो पिछले साल 2019-20 की इसी तिमाही में 14.8 फीसदी थी. इसी प्रकार अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में 9.4 फीसदी (एक साल पहले इसी तिमाही में 12.3 फीसदी), शहरी क्षेत्र में 8.7 फीसदी (पहले 9.9 फीसदी ) और महानगरों में 3.6 प्रतिशत (एक साल पहले इसी तिमाही में 7.2 प्रतिशत) रही. निजी क्षेत्र के बैंकों को देखा जाए तो कर्ज के मामले में सालाना आधार पर वृद्धि सितंबर, 2020 में घटकर 6.9 फीसदी रही जबकि एक साल पहले यह 14.4 फीसदी थी.


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