नई दिल्ली: देश के बैंकों की हालत सुधारने के लिए सरकार उनमें और पूंजी डालने पर विचार कर रही है. वहीं सरकार नए साल में बैंकिंग सुधारों के सिलसिले को भी जारी रख सकती है. सरकार का इरादा नॉन पर्फॉमिंग एसेट्स (एनपीए) के बोझ से दबे पीएसयू बैंकों के बैंकों में पूंजी निवेश करने का है, जिससे लोन की मांग को बढ़ाया जा सके. फिलहाल लोन की विकास दर 25 साल के निचले स्तर पर चली गई है.


अक्तूबर में बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डालने का हुआ एलान
सरकार ने इस साल अक्तूबर में बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि डालने की घोषणा की थी. बैंकों में यह पूंजी दो साल यानी 2019 तक डाली जाएगी. पीएसयू बैंकों के एनपीए जून 2017 में ढाई गुना से ज्यादा बढ़कर 7.33 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गए हैं, जो मार्च, 2015 में 2.75 लाख करोड़ रुपये पर था. बैंकों को दिए जाने वाले 2.11 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में से 1.35 लाख करोड़ रुपये रीकैपिटलाइजेशन बांडों के जरिये डाले जाएंगे. बैंकों के एनपीए पर काबू के लिए सरकार ने इस साल दो अध्यादेश बैंकिंग नियमन (संशोधन) अध्यादेश, 2017 और दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2017 जारी किए हैं. वहीं वित्त मंत्रालय जल्द रीकैपिटलाइजेशन बांडों के तौर तरीके की घोषणा करेगा.


आसान नहीं होगा बैंकों में पूंजी डालना
बैंकों में पूंजी डालने का काम इतना आसान नहीं होगा. पूंजी डालने के साथ बैंकों के बोर्ड को भी मजबूत किया जाएगा और डूबे कर्ज का निपटान भी जरूरी होगा. साथ ही बैंकों के मानव संसाधन के मुद्दों को भी सुलझाना होगा, जिससे भविष्य में जिम्मेदारी पूर्ण बैंकिंग को आगे बढ़ाया जा सके.


वित्त मंत्रालय ने की घाटे में चल रही बैंक शाखाओं को बंद करने की सिफारिश
हाल ही में वित्त मंत्रालय ने पीएसयू बैंकों की घाटे में चल रही कुछ शाखाओं को बंद करने का प्रस्ताव दिया है. आपको बता दें कि ऐसी शाखाओं के चलते बैंकों की पूरी बैलेंस शीट पर असर देखा जा सकता है जिसके चलते ये सिफारिश की गई है. एसबीआई और पीएनबी पहले ही अपनी कुछ शाखाओँ को बंद कर चुके हैं.


बैंकों में सुधार एजेंडा शीर्ष प्राथमिकता
वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा, ‘‘सुधार एजेंडा शीर्ष प्राथमिकता है जिसे पूंजीकरण के साथ क्रियान्वित किया जाएगा. कई सुधार लाए जाएंगे जिससे ईमानदार कर्जदाताओं को किसी तरह की परेशानी न होगा और उन्हें उनकी जरूरत के हिसाब से समय पर कर्ज मिल सके.’’ कुमार ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों (एमएसएमई), वित्तीय समावेशन और रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.


सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में मजबूती के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगस्त में वैकल्पिक व्यवस्था (एएम) के तहत बैंकों के एकीकरण को सैद्धान्तिक मंजूरी दे दी. पिछले महीने वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई गई है जो बैंकों के एकीकरण के प्रस्तावों की समीक्षा करेगी.