भारत में बैंकिंग सेक्टर रिटर्न के लिहाज से उतार-चढ़ाव भरा रहा है. पिछले कुछ वक्त के दौरान सरकारी बैंकों पर एनपीए का भारी दबाव रहा है. कई बैंकों में अनियमितताओं की वजह से ग्राहकों को परेशानी का सामना करना पड़ा है. हालांकि आर्थिक रिकवरी के थोड़ी रफ्तार पकड़ने के बाद कई बैंकों को खास कर निजी बैंकों ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है. इसने निवेशकों का बैंकिंग फंड की ओर निवेश के प्रति रुझान तेज किया है. सवाल यह है कि क्या यह बैंकिंग फंडों में निवेश का सही वक्त है.


बैंकिंग सेक्टर की टॉप स्कीमों का रिटर्न 30 फीसदी तक चढ़ा 


पिछले एक महीने में बैंकिंग सेक्‍टर कैटेगरी का रिटर्न 18.16 फीसदी रहा है. इस कैटेगरी की टॉप स्‍कीमों ने तो तीन महीने में 30 फीसदी से ज्‍यादा रिटर्न दिया है.इससे इस सेक्टर में निवेश का आकर्षण बढ़ता जा रहा है. बैंकिंग सेक्टर के टॉम परफॉर्मर में एसबीआई बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज, टाटा बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज, सुंदरम फाइनेंशियल सर्विसेज अपॉर्च्यूनिटिज फंड, इंवेस्को इंडिया फाइनेंशियल सर्विसेज और टॉरस बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज शामिल हैं.


लगातार आकर्षक होता जा रहा है बैंकिंग फंड 


एक्सपर्ट्स का कहना है कि कुछ समय से निजी बैंकों के अच्छे प्रदर्शन से इस तरह के फंड आकर्षक हुए हैं. उनके मुताबिक बैंकिंग सेक्टर के शेयरों में अभी रैली की संभावना बनी हुई है , इसलिए बैंकिंग सेक्टर के फंड के अच्छे प्रदर्शन की गुंजाइश बनी हुई है. हालांकि निवेशकों को इस सेक्टर से जुड़ी अस्थिरता का भी ध्यान रखना चाहिए. अगले एक से दो साल के दौरान इस सेक्टर के अच्छा करने की संभावना बनी हुई है. हालांकि ग्रोथ में रिवर्सल की संभावना रही तो बैंकिंग सेक्टर को नुकसान हो सकता है. लेकिन कुल मिलाकर सेक्टर की संभावना अच्छी दिख रही है. निवशकों को मुनाफावसूली का ध्यान रखना चाहिए. इसकी वजह से सेक्टर के रिटर्न में अस्थिरता आ सकती है. इसलिए निवेशकों को इस नजरिये से बैंकिंग फंड में निवेश करना चाहिए. साथ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सेक्टोरल फंड आम निवेशकों के हिसाब से जटिल होते हैं. इसका भी ध्यान रखा जाना चाहिए.


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