Banking Stocks Declines: 2022 में बैंकिंग सेक्टर के शेयरों ने निवेशकों को जबरदस्त दिया था. निफ्टी बैंक इंडेक्स हो या निफ्टी का पीएसयू बैंक इंडेक्स दोनों में शानदार तेजी देखने को मिली थी. खासतौर से सरकारी बैंकों के शेयरों में तेजी की बदौलत पीएसयू बैंक इंडेक्स में जबरदस्त उछाल देखने को मिला. 2022 में निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स ने 60 फीसदी का रिटर्न दिया था. तो इस इंडेक्स के कई शेयरों ने निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न दिया.
निफ्टी PSU बैंक इंडेक्स 20 फीसदी गिरा
लेकिन 2023 ने बैंकिंग सेक्टर के स्टॉक्स ने निवेशकों को निराश किया है. और जब से अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट आई है तब से सरकारी बैंकों में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है. हिंडनबर्ग के रिपोर्ट के सामने आने के बाद से निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स अपने हाई से 20 फीसदी नीचे आ चुका है. 24 जनवरी 2023 को अडानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आई थी. तबसे से लेकर अब सरकारी बैंकों के स्टॉक्स में 20 से 25 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है.
एसबीआई के शेयर में भारी गिरावट
अडानी समूह को देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के दिए कर्ज को लेकर सबसे ज्यादा सवाल खड़े हो रहे हैं. रिपोर्ट के आने से पहले एसबीआई का शेयर 604 रुपये पर ट्रेड कर रहा था जो 18 फीसदी की गिरावट के साथ 499 रुपये तक नीचे जा लुढ़का था जो अब 523 रुपये पर कारोबार कर रहा है. अडानी समूह में एसबीआई का एक्सपोजर 27,000 करोड़ रुपये है जो उसके कुल लोन बुक का केवल 0.8 से 0.9 फीसदी है.
अडानी समूह को एक्सपोजर को बाजार की बढ़ी चिंता
हिंडनबर्ग के रिपोर्ट आने के बाद से पीएनबी का शेयर 15 फीसदी के करीब तो बैंक ऑफ बड़ौदा का स्टॉक 12 फीसदी नीचे आ चुका है. अडानी समूह के ऊपर बैंक ऑफ बड़ौदा का 5500 करोड़ रुपये का कर्ज है और पंजाब नेशनल बैंक का 7000 करोड़ रुपये का कर्ज है. बड़े बैंकों की पिटाई हुई तो भला छोटे सरकारी बैंक कैसे बचते. छोटे सरकारी बैंकों के स्टॉक्स भी 20 से 25 फीसदी तक नीचे जा लुढ़के.
निजी बैंक भी लपेटे में
केवल सरकारी बैंक ही नहीं बल्कि निजी क्षेत्र की इंडसइंड बैंक के शेयर में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली है जिसका अडानी समूह में एक्सपोजर है. इंडसइंड बैंक ने कहा कि अडानी समूह में उसके कुल लोन बैंक का 0.49 फीसदी एक्सपोजर है. इसके बाद से इंडसइंड बैंक के शेयर में भी गिरावट देखने को मिली है. हिंडनबर्ग के रिपोर्ट के आने से पहले शेयर 1220 रुपये पर था जो अब 1100 रुपये के करीब ट्रेड कर रहा है. यानि 10 फीसदी स्टॉक्स में गिरावट आ चुकी है.
बैंकों पर डिपॉजिट्स पर ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव
ऐसा नहीं है कि केवल हिंडनबर्ग के रिपोर्ट के चलते ही बैंक स्टॉक्स टूटे हैं. बीते कुछ तिमाही में बैंकों के नेट इंटरेस्ट मार्जिन में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है. लेकिन कर्ज महंगा होता जा रहा है. तो बैंको को डिपॉजिट्स पर ब्याज दरें बढ़ाना पड़ रहा है. बल्कि कर्ज की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए डिपॉजिट्स पर आकर्षक ब्याज ऑफर करना पड़ रहा है. ऐसे में आने वाले समय में भी नेट इंटरेस्ट मार्जिन शानदार रहेगा इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं. इसके चलते भी बैंकिंग स्टॉक्स पर दबाव है.
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