Floating Rate Loan: फ्लोटिंग रेट वाले लोन के ब्याज दरों में बदलाव की सूचना देने के लिए बैंक बाध्य नहीं, NCDRC का आदेश
NCDRC Update: राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का ये महत्वपूर्ण फैसला है क्योंकि हाल के दिनों में बैंक लगातार फ्लोटिंग रेट वाले लोन को महंगा करते जा रहे हैं.
Floating Rate Loan: अगर आपने बैंक से प्लोटिंग रेट पर कर्ज लिया हुआ है और अगर ब्याज दरों में कोई बदलाव की जाती है तो उसे आपको बताने के लिए बैंक बाध्य नहीं है. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने एक मामले की सुनवाई के बाद अपने एक आदेश में ये बात कही है.
एनसीडीआरसी ने एक मामले में बैंक के अपील को स्वीकार करते हुए कहा कि, लोन एग्रीमेंट के मुताबिक बैंक को फ्लोटिंग रेट आधारित ब्याज दर को घटाने या बढ़ाने का पूरा अधिकार है. और बैंक जब भी ब्याज दरें बढ़ाता या घटाता है तो उसे ग्राहकों की मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि लोन एग्रीमेंट पर जब कर्जदार हस्ताक्षर करते हैं, ऐसे में किसी भी वृद्धि या कमी के लिए ग्राहकों की सहमति होती है.
मामला 2019 का है जब आईसीआईसीआई बैंक बनाम विष्णु बंसल मामले में ग्राहक ने आईसीआईसीआई बैंक के खिलाफ राज्य उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया. ग्राहक ने अपनी शिकायत में कहा कि बैंक ने होम लोन के ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी साथ ही उनको सूचित किए बिना ईएमआई बढ़ा दी. राज्य उपभोक्ता आयोग ने आईसीआईसीआई बैंक के खिलाफ आदेश पारित किया और साथ ही 1.62 लाख रुपये का भुगतान करने को भी कहा. इसके अलावा 1 लाख रुपये मुआवजा भी देने का आदेश पारित किया. राज्य उपभोक्ता आयोग के इस आदेश के खिलाफ आईसीआईसीआई बैंक राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में अपील की.
एनसीडीआरसी ने आईसीआईसीआई बैंक की अपील को स्वीकार कर ली और अपने आदेश में कहा कि, बैंक को फ्लोटिंग रेट पर लिए गए लोन के ब्याज दर को बढ़ाने या घटाने का अधिकार है. क्योंकि लोन एग्रीमेंट में दोनों पक्षों के बीच इसे लेकर सहमति पहले ही हो चुकी होती है. ऐसे में बैंक को फिर से मंजूरी लेने की जरुरत नहीं है क्योंकि ये एग्रीमेंट का हिस्सा है. एनसीडीआरसी ने कहा कि ऐसे कोई रिकॉर्ड नहीं है जिससे ये स्पष्ट हो कि बैंक ने गलत तरीके से ब्याज दरों को बढ़ाया है या तय किया है. एनसीडीआरसी ने कहा कि आईसीआईसीआई बैंक ने ब्याज दरों में बदलाव को लेकर तारीखों पर वेबसाइट पर नोटिस भी डाला है. आयोग ने कहा कि बैंक लोन के ब्याज दरों में बदालव को लेकर रीसेट लेटर भी समय समय पर कस्टमर को जारी किए गए हैं.
हालांकि बैंक को आयोग ने शिकायतकर्ता को सेवा भाव के रूप में एक लाख का भुगतान करने का आदेश दिया. इसके अलावा राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम ने राज्य उपभोक्ता आयोग को बैंक द्वारा जमा कराई गई राशि शिकायतकर्ता को ब्याज सहित जारी करने का निर्देश दिया.
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