बैंक डिपॉजिट ग्राहकों के लिए अब घाटे का सौदा बन गए हैं. डिपॉजिट रेट में तेज गिरावट की वजह से बैंकों में जमा रकम पर ब्याज दर काफी कम हो गई है. आरबीआई की ओर से ब्याज दरों में कटौती और खुदरा महंगाई बढ़ने की वजह से एफडी और दूसरी स्कीम में पैसा जमा रखने में अब कोई फायदा नहीं दिख रहा है. ब्याज दरें इतनी कम हो गई हैं यह महंगाई को भी मात नहीं कर पा रही है.


महंगाई दर को भी मात नहीं दे पा रही है ब्याज दरें 


मार्च से मई के बीच आरबीआई ने रेपो रेट में 115 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी ताकि कोरोनावायरस संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित इकनॉमी पटरी पर आ सके. इस वजह से बैंक के लोन सस्ते हो गए. लेकिन इसका असर डिपोजिटरों पर पड़ा. सस्ता लोन देने की वजह से बैंकों को जो नुकसान हो रहा था उसकी भरपाई ग्राहकों के डिपोजिट पर ब्याज दर घटा कर की जाने लगी.जून में खुदरा महंगाई दर 6.09 फीसदी रही. जबकि एसबीआई में एक साल के लिए एफडी पर इससे लगभग एक फीसदी की दर (5.10 फीसदी )से ब्याज मिल रहा है.


घरेलू सेविंग्स दर में कमी की आशंका 


कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से लोगों की आमदनी को काफी चोट पहुंची है. बड़े पैमाने पर छंटनी और बिना वेतन के छुट्टी पर भेजे जाने की वजह से लोगों की बचत क्षमता ऐसे भी कम हो गई है. इस पर बैंकों में डिपोजिट पर ब्याज घटने से उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं. इसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. इससे घरेलू बचत प्रभावित होगी. इसका सरकारी खजाने पर भी असर पड़ सकता है. घरेलू बचत दर का गिरना पहले ही चिंता का विषय बना हुआ है. इसमें और कमी सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं. विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में महंगाई दर में कमी आ सकती है लेकिन बैंक उतनी जल्दी डिपोजिट पर ब्याज दरों में इजाफा नहीं करेंगे.