नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने 3 लाख करोड़ रुपये की आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को 1.23 लाख करोड़ रुपये का ऋण मंजूर किया है. कोविड-19 महामारी से एमएमएसई क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वित्त मंत्रालय ने कहा कि मंजूर राशि में से बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों ने इस योजना के तहत एमएसएमई इकाइयों को 15 जुलाई तक 68,311 करोड़ रुपये वितरित किए हैं.
वित्त मंत्री ने की थी आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिये पिछले महीने 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की थी. इस पैकेज का सबसे बड़ा हिस्सा सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों के लिये घोषित तीन लाख करोड़ रुपये की आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना है.
लोन का विवरण
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी ताजा ईसीएलजीएस आंकड़ों में 12 सरकारी बैंकों, 22 निजी बैंकों और 21 गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी) के द्वारा वितरित किये गये लोन शामिल हैं. सीतारमण ने एक ट्वीट में कहा, "15 जुलाई तक सरकारी और निजी बैंकों ने 100 फीसदी आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना के तहत 1,23,345.16 करोड़ रुपये के ऋण मंजूर किये. इसमें से 68,311.55 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया जा चुका है.’’
सरकारी बैंकों ने किया 69,135 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन
उन्होंने कहा कि 15 जुलाई तक सरकारी बैंकों ने 69,135.19 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया है जबकि 41,819 करोड़ रुपये का कर्ज वितरित किया गया है. निजी क्षेत्र के बैंकों ने अभी तक इस योजना के तहत 54,209.97 करोड़ रुपये का ऋण मंजूर किया है और 26,492 करोड़ रुपये का वितरण किया गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि नौ जुलाई, 2020 की तुलना में कुल मंजूर ऋण राशि में 3,245.79 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है, जबकि इस दौरान ऋण वितरण 6,323.65 करोड़ रुपये बढ़ा है.
एसबीआई-पीएनबी ने दिया सबसे ज्यादा कर्ज
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अब तक 20,910 करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर किया है, जबकि उसने 14,362 करोड़ रुपये का लोन बांटा है. इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने 9,121 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया है जबकि उसका कर्ज वितरण 4,032 करोड़ रुपये रहा है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 20 मई को एमएसएमई क्षेत्र के लिये आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना के माध्यम से 9.25 फीसदी की रियायती दर पर तीन लाख करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त वित्त पोषण को मंजूरी दी थी.
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