Banks Liquidity Crisis: त्योहारों में बढ़ी कर्ज की मांग, बैंकों के सामने खड़ा हुआ नगदी का संकट!
Festival Pushes Credit Demand: बैंक भारी क्रेडिट की मांग के चलते नगदी के संकट से जूझ रहे हैं. ऐसे में नगदी जुटाने के लिए उनपर डिपॉजिट्स रेट्स बढ़ाने का दवाब बढ़ा है.
Credit Demand In Festive Season: त्योहारों के सीजन ( Festive Season) की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि का त्योहार खत्म हो चुका है और दिवाली, धनतेरस और छठ पर्व आने को है. त्योहारों के सीजन में लोग जमकर खरीदारी करते हैं. इस फेस्टिव सीजन में भी यही देखने को मिल रहा है. जिसके चलते इस भारी कर्ज की मांग देखी जा रही है. कर्ज में मांग में तेजी, फेस्टिव सीजन के चलते खपत में उछाल और रुपये में आई कमजोरी को थामने के लिए आरबीआई के डॉलर बेचने के चलते बैंकिंग सिस्टम में नगदी की कमी होने लगी है.
बैंकों में नगदी की कमी!
वेटेड एवरेज कॉल रेट (Weighted Average Call Rate) 30 अप्रैल, 2019 के बाद सबसे ऊपरी लेवल पर जा पहुंचा है जो बताने के लिए काफी है कि बैंकिंग सिस्टम में नगदी की कमी होने लगी है. वेटेड एवरेज कॉल रेट रेपो रेट से 21 बेसिस प्वाइंट ज्यादा 6.11 फीसदी पर जा पहुंचा है जो 6.15 फीसदी मार्जिनल स्टैडिंग फैसिलिटी के करीब है. मार्जिनल स्टैडिंग फैसिलिटी ( Mardinal Standing Facility) आरबीआई के ब्याज दर का सबसे ऊपरी लेवल होता है. जब भी बैंक आरबीआई से मार्जिनल स्टैडिंग फैसिलिटी के तहत लोन लेते हैं तो उन्हें ज्यादा ब्याज सेंट्रल बैंक को चुकाना होता है. और बैंक मार्जिनल स्टैडिंग फैसिलिटी के तहत तभी कर्ज लेते हैं जब उनके पास नगदी का संकट खड़ा हो जाता है. नगदी की कमी से जूझ रहे बैंकों ने सोमवार 10 अक्टूबर, 2022 को बैंकों ने मार्जिनल स्टैडिंग फैसिलिटी के जरिए 21000 करोड़ रुपये का कर्ज आरबीआई से लिया है.
सितंबर में भी था नगदी का संकट
जानकारों का मानना है कि आरबीआई के डॉलर बेचने, त्योहारों के सीजन में कर्ज की भारी मांग और सरकार के पास कैश बैलेंस के चलते नगदी का संकट खड़ा हुआ है. सितंबर महीने में तीन वर्षों में पहली बार नगदी की कमी हो गई थी जिसके बाद आरबीआई को दखल देना पड़ा था.
कर्ज की मांग में तेजी से बढ़ा संकट
बैंक भारी क्रेडिट की मांग के चलते नगदी के संकट से जूझ रहे हैं. ऐसे में नगदी जुटाने के लिए उनपर डिपॉजिट्स रेट्स बढ़ाने का दवाब बढ़ा है. आरबीआई ने 23 सितंबर, 2022 को डाटा जारी किया था जिसके मुताबिक कर्ज की मांग 9 वर्षों के उच्चतम स्तर 16.4 फीसदी पर जा पहुंची है. जबकि डिपॉजिट ग्रोथ रेट केवल 9.2 फीसदी रहा है. जिसके बाद बैंकों पर डिपॉजिट्स बढ़ाने के लिए दवाब बढ़ने लगा है.
डिपॉजिट्स रेट्स बढ़ाने में कंजूसी
आरबीआई ने मई के बाद से लेकर सितंबर महीने तक रेपो रेट में 190 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है. रेपो रेट बढ़कर 4 फीसदी से बढ़कर 5.90 फीसदी पर जा पहुंचा है. जिसके बैंकों ने कर्ज से लेकर डिपॉजिट्स पर ब्याज दरें बढ़ाई हैं. हालांकि जितना कर्ज महंगा हुआ है उस रफ्तार से डिपॉजिट्स पर रेट्स नहीं बढ़े हैं.
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