बैंकों के फिक्स्ड डिपोजिट में पैसा रखना अब घाटे का सौदा बनता जा रहा है. एफडी के इंटरेस्ट रेट तेजी से घटते जा रहे हैं. कुछ बैंकों के शॉर्ट टर्म एफडी की ब्याज दरें सेविंग अकाउंट पर मिलने वाली ब्याज दरों के करीब पहुंच गई हैं.


बैंकों के पास पैसों की कमी नहीं इसलिए कम दे रहे हैं ब्याज


दरअसल बैंकों के पास अभी काफी पैसा है. इसके अलावा लोग लोन भी कम ले रहे हैं. इसलिए उन्हें डिपोजिटर से फंड की जरूरत फिलहाल नहीं है. यही वजह है कि उन्होंने शॉर्ट और लॉन्ग टर्म एफडी की ब्याज दरों में कटौती करना शुरू कर दिया है. एफडी में कम ब्याज की वजह से लोग अब निवेश के लिए म्यूचुअल फंड की ओर जा रहे हैं, जहां इसकी तुलना में जोखिम ज्यादा है. पिछले वित्त वर्ष के दौरान बैंकों का डिपोजिट घटा है. इस वित्त वर्ष में अब तक इसमें सिर्फ दो फीसदी का इजाफा हुआ है. निवेशक शेयर बाजार के जोखिम के बावजूद म्यूचुअल फंड और इक्विटी बेस्ड इनवेस्मेंट इंस्ट्रूमेंट्स में पैसा लगा रहे हैं.


‘इकनॉमिक टाइम्स’ की खबर के मुताबिक एसबीआई सात से 45 दिनों तक की अवधि वाले एफडी के लिए 2.9 फीसदी ब्याज दे रहा है, जो सेविंग्स बैंक अकाउंट पर मिलने वाले 2.7 फीसदी के ब्याज दर से थोड़ा ही ज्यादा है. कोटक महिंद्रा बैंक और एचडीएफसी के शॉर्ट टर्म एफडी के ब्याज तो सेविंग बैंक अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज से भी कम है.


ब्याज कम होने से ज्यादा जोखिम वाले निवेश की ओर रुझान


कोटक महिंद्रा बैंक सेविंग्स अकाउंट होल्डर्स को शॉर्ट टर्म एफडी ग्राहकों की तुलना में आधा फीसदी ब्याज ज्यादा दे रहा है. वहीं एचडीएफसी बैंक, पंजाब नेशनल बैंक चौथाई फीसदी ब्याज ज्यादा दे रहे हैं. हालांकि सीनियर सिटिजन्स को मौजूदा दरों से आधा फीसदी ज्यादा मिलता है.बैंकों की ओर से एफडी पर ब्याज कम करने से निवेशकों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है. अब वे अपना पैसा ज्यादा जोखिम वाले इंस्ट्रूमेंट्स में लगा रहे हैं.