नई दिल्लीः नोटबंदी के दौरान देश में बैंकों में कितना पैसा आया इसका आधिकारिक आंकड़ा भले ही अभी जारी नहीं हुआ पर आरबीआई की वेबसाइट पर एक दिलचस्प जानकारी मिली है.


नोटबंदी के दौरान देश के अलग-अलग बैंकों में 1.6 से 1.7 लाख करोड़ रुपये की ‘‘असामान्य’’ कैश राशि जमा की गई. रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर रखे गए एक रिसर्च पेपर में यह निष्कर्ष निकाला गया है. रिसर्च पेपर (शोध-पत्र) में यह भी कहा गया है कि नोटबंदी के बाद देश के बैंकिंग सिस्टम में अनुमानित 2.8 से लेकर 4.3 लाख करोड़ रुपये तक की रकम कैश में जमा हुई है.


‘नोटबंदी और बैंक जमा में वृद्धि’ नाम के इस रिसर्च पेपर में कहा गया है, ‘‘कुछ खास खातों में कुल मिला कर 1.6- 1.7 लाख करोड़ रुपये के दायरे में ‘‘असामान्य’’ कैश जमा हुआ है. ये खाते ऐसे हैं जिनमें लेनदेन आमतौर पर कम ही होता रहा है.’’ आरबीआई रिजर्व बैंक का ये रिसर्च पेपर बैंक के मौद्रिक नीति विभाग में निदेशक भूपाल सिंह और सांख्यिकी और सूचना प्रबंधन विभाग में निदेशक इंद्रजीत राय ने तैयार किया है.


इसमें कहा गया है कि नोटबंदी के दौरान (11 नवंबर 2016 से 30 दिसंबर 2016) के दौरान बैंकिंग सिस्टम में अतिरिक्त कैश डिपॉजिट में वृद्धि 4 से 4.7 फीसदी के बीच रही है. यदि इसमें फरवरी मध्य 2017 तक की अवधि को भी शामिल कर लिया जाये तो यह इजाफा 3.3 से 4.2 फीसदी के दायरे में रही है. इस टाइम पीरियड को कुछ और बढ़ा कर मार्च 2017 के आखिर तक के रुझानों को देखा जाए तो यह 3.0-3.8 फीसदी के दायरे में रहेगी.


दस्तावेज के मुताबिक नोटबंदी के पूरे समय के दौरान बैंकों के ग्रॉस डिपॉजिट में सालाना आधार पर 14.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. जबकि एक साल पहले इसी दौरान (11 नवंबर से 30 दिसंबर, 2015 के दौरान) इसमें 10.3 फीसदी की ही बढ़त दर्ज की गई थी.


इसमें कहा गया है कि कुल मिलाकर, नोटबंदी के दौरान बैंक डिपॉजिट में उल्लेखनीय वृद्धि हुई. आरबीआई का रिसर्च पेपर साफ ये कहता है कि यदि इस स्थिति को इसी तरह बनाये रखा जाएगा तो वित्तीय बाजार में इसका अच्छे कामों के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा. यानी इसका बचत और पूंजी बाजार में पॉजिटिव असर देखा जाएगा.


नोटबंदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोट को चलन से हटाने की घोषणा की. इन नोटों की कुल कीमत 15.4 लाख करोड़ रुपये थी. उस समय प्रचलन में रहने वाले कुल नोटों में 500-1000 रुपये के नोटों का 86.9 फीसदी हिस्सा था. नोटबंदी को कालाधन, नकली करेंसी और भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत सरकार का बड़ा कदम माना गया था.



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