Bank Fixed Deposits: सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान के जरिए म्यूचुअल फंड में हर महीने रिकॉर्ड निवेश का बैंकों को सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ रहा है. बैंकों में पैसे डिपॉजिट रखने की जगह लोग म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं जहां उन्हें शानदार रिटर्न मिल रहा है. डिपॉजिटर्स की इस प्रवृति ने बैंकों की चिंता बढ़ा दी है. तो बैंकों ने उन्हें आकर्षित करने के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट्स पर ब्याज दरें बढ़ाना शुरू कर दिया है. देश की दे दिग्गज सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा ने इस दिशा में सबसे पहले पहल की है. 


भारतीय स्टेट बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा ने स्पेशल डिपॉजिट स्कीम्स को लॉन्च किया है जो खास टेन्योर के लिए है. उदाहरण के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा ने मानसून धमाका डिपॉजिट स्कीम लॉन्च किया है. इस डिपॉजिट स्कीम के तहत 399 और 333 दिनों के फिक्स्ड डिपॉजिट में ज्यादा ब्याज दिया जा रहा है. इस स्कीम के तहत बैंक ऑफ बड़ौदा 399 दिनों के एफडी पर 7.25 फीसदी और 333 दिनों के एफडी पर 7.15 फीसदी ब्याज दे रही है. वरिष्ठ नागरिकों को 0.50 फीसदी ब्यादा दोनों ही स्कीमों में ज्यादा मिलेगा. 15 जुलाई से बैंक ऑफ बड़ौदा के इस मानसून धमाका डिपॉजिट स्कीम की शुरुआत हुई है. 


भारतीय स्टेट बैंक ने भी अमृत वृष्टि (SBI Amrit Vrishti) के नाम से स्पेशल डिपॉजिट स्कीम को लॉन्च किया है. इस डिपॉजिट स्कीम में 444 दिनों के एफडी पर 7.25 फीसदी मिल रहा है. एसबीआई ने भी 15 जुलाई से एफडी स्कीम को लॉन्च किया है जो कि 31 मार्च 2025 तक खुला रहेगा. सीनियर सिटीजंस को 0.50 फीसदी ज्यादा ब्याज दिया जा रहा है.  


दरअसल जिस रफ्तार के साथ बैंक कर्ज दे रहे उस रफ्तार से बैंकों के पास डिपॉजिट्स नहीं आ रहे. वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के लिए बैंकों ने अपने अपडेट्स में बताया कि जारी किए  क्रेडिट जहां बढ़ा है डिपॉजिट्स उस हिसाब से नहीं बढ़ रहा है. बैंकों में सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट करने की बजाये लोग अपनी गाढ़ी कमाई को एसआईपी (SIP) के जरिए म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में डाल रहे हैं, जहां उन्हें ज्यादा रिटर्न मिल रहा है. बैंक डिपॉजिट्स घटने की ये बड़ी वजह है. 


बैंकों में घट रहे डिपॉजिट्सने बैंकिंग सेक्टर के रेग्यूलेटर भारतीय रिजर्व बैंक की भी चिंता बढ़ा दी है. हाल ही में बैंकों के एमडी-सीईओ के साथ हुई समीक्षा बैठक में आरबीआई गवर्नर ने एसेट-लायबिलिटी मिसमैच को लेकर चिंता जाहिर की है और बैंकों से इस खाई को भरने को कहा है. जबकि एसबीआई रिसर्च ने बजट में म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार के समान सरकार को डिपॉजिट के ब्याज दर पर लगने वाले टैक्स में बदलाव करने की मांग की है. एसबीआई रिसर्च के अर्थशास्त्रियों ने सभी परिपक्वता वाले डिपॉडिट्स पर एकसमान टैक्स ट्रीटमेंट का सुझाव दिया है. 


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