Bank FD Update: घाटे का सौदा बन रहे फिक्स्ड डिपॉजिट, इन 5 बैंकों ने 1 फीसदी तक कम गया एफडी पर ब्याज
FD Interest Rates: बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट करना भारतीय निवेशकों को काफी पसंद है, लेकिन यह एक बार फिर से घाटे का सौदा बनने लगा है और इस पर ब्याज कम होने लगा है...
पिछले 1-2 महीने से खुदरा महंगाई बढ़ने के बाद भी रिजर्व बैंक ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. इस बीच बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरों को कम करना शुरू कर दिया है. इससे लगता है कि बैंक एफडी के सबसे अच्छे दिन अब गुजर चुके हैं.
तीसरी बार भी नहीं हुआ बदलाव
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की आज समाप्त हुई बैठक 8 अगस्त को शुरू हुई थी. यह चालू वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक की एमपीसी की तीसरी बैठक थी. रिजर्व बैंक ने इससे पहले अप्रैल और जून 2023 में हुई एमपीसी की बैठक में रेपो रेट को स्थित रखा था. इस तरह से लगातारी तीसरी बैठक में भी रेपो रेट को नहीं बदला गया है.
साल भर में रेपो रेट में बढ़ोतरी
उससे पहले करीब साल भर के अंतराल में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 2.50 फीसदी बढ़ाया था. लगातार रेपो रेट को बढ़ाए जाने से जहां एक ओर होम लोन से लेकर पर्सनल लोन और ऑटो लोन महंगे हो रहे थे, वहीं दूसरी ओर बैंकों ने सेविंग अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट पर दिए जाने वाले ब्याज को बढ़ाने की शुरुआत कर दी थी. रेपो रेट में बढ़ोतरी बंद होने से एफडी रेट बढ़ने का दौर भी बंद हो गया है.
इन दो बैंकों ने इतना घटाया ब्याज
अब तो बैंक एफडी रेटकम करने भी लग गए हैं. पिछले 2 महीने के दौरान कम से कम 5 बैंकों ने एफडी पर ब्याज दरें कम की हैं. एक्सिस बैंक ने एफडी की दरों में 0.10 फीसदी तक की कटौती की है. नई दरें 26 जुलाई से प्रभावी हो चुकी हैं. इसी तरह दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पीएनबी ने एफडी रेट में 0.05 फीसदी की कटौती की है. पीएनबी की नई दरें 1 जून से प्रभावी हो गई हैं.
सबसे ज्यादा पीएनबी की कटौती
बैंक ऑफ इंडिया ने तो एफडी के ब्याज में सबसे ज्यादा 1 फीसदी तक की कटौती की है. बैंक ऑफ इंडिया की नई ब्याज दरें 28 जुलाई से लागू हुई हैं. इंडसइंड बैंक ने 5 अगस्त से एफडी ब्याज दरों को 0.25 फीसदी तक कम किया है. वहीं एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक ने ब्याज दरों को 0.85 फीसदी तक कम किया है.
अब और बैंक कर सकते हैं कटौती
आज समाप्त हुई एमपीसी की बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने के बाद आने वाले दिनों में बाकी के बैंक भी एफडी पर ब्याज दरों को कम कर सकते हैं. मतलब साफ है कि एफडी पर ठीक-ठाक ब्याज वाले दिन फिर से बीत चुके हैं और आने वाले समय में एफडी से लोगों को कम रिटर्न मिलने वाला है.
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