Fraud Detection By Banks: आरबीआई ( Reserve Bank Of India)  ने बैंकों के लिये अपने यहां फ्रॉड की पहचान करने के लिये 42 पूर्व चेतावनी संकेत (Early Warning Signals) बनाये हुये हैं जिससे बैंकों को किसी भी प्रकार की फाइनैंशियल फ्रॉड की जानकारी फौरन मिल सके. बावजूद इसके क्या आप जानते हैं बैंकों को अपने जहां हुए कोई फाइनैंशियल फ्रॉड का पता लगने में कितना वक्त लगता है? सरकार ने संसद को बताया है कि बैंकों को अपने यहां हुये फ्रॉड की जानकारी फ्रॉड करने की तारीख के कम से कम औसतन 23 महीने बाद पता लगता है.


संसद में पूछा गया सवाल


दरअसल राज्यसभा में सदन के सदस्य अमर पटनायक ने सरकार से सवाल पूछा गया था कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों में धोखाघड़ी की घटना होने और उस घटना का पता लगाने के बीच औसतन समय क्या है ? उन्होंने सरकार से ये भी पूछा कि 100 करोड़ रुपये से अधिक की बड़ी धोखाधड़ी की घटना होने और उसका पता लगाने का औसतन  समय अंतराल क्या है? 


5 साल बाद पता लगता है 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का फ्रॉड 


इस प्रश्न का जवाब देते हुये वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने कहा कि आरबीआई  की 2020-21 के सलाना रिपोर्ट मुताबिक वित्चीय वर्ष  2020-21 में सूचित धोखाधड़ी की घटना की तारीख और  धोखाधड़ी का पता लगाने की तारीख के बीच औसतन समय अंतराल 23 महीने का था. वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के फ्रॉड होने की तारीख और फ्रॉड का पता लगने में औसतन 57 महीने के बाद पता लगता है यानि करीब 5 साल बाद. 


जल्द फ्रॉड का पता लगाने के लिए आरबीआई के दिशा निर्देश


बैंकों में फ्रॉड का पता लगाने के लिये आरबीआई के पूर्व चेतावनी संकेत (Early Warning Signals) को लेकर भागवत कराड ने बताया कि आरबीआई ने बैंकों को मास्टर निर्देशों के  को ये सूची प्रदान की है जिससे कोई फ्रॉड का पता पहले ही लगाया जा सके. बैंकों को अपने अनुभव, ग्राहक की प्रोफाइल, व्यवसायिक मॉडल के आधार पर Early Warning Signals बनाने को कहा गया है. बैंकों के इन फ्रेमवर्क्स को आरबीआई सुपरवाईज भी करता है.