इंश्योरेंस कराने से पहले जान लीजिए कंपनियों के कुछ डार्क ‘सीक्रेट’
इंश्योरेंस कराने से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल करना काफी जरूरी होता है. ऐसा करने से आप कम पैसों में बेहतर पॉलिसी ले सकते हैं.
इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के दौरान सभी डॉक्यूमेंट पढ़ने के बाद भी बारीकियों को समझना आसान नहीं होता है. कई लोग इसके लिए एक्सपर्ट्स की सलाह लेते हैं, तो कुछ लोग बीमा एजेंट के पास पहुंच जाते हैं. कोई भी इंश्योरेंस कराने से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल करना काफी फायदेमंद साबित होता है. आम लोगों को यह पता नहीं होता है कि कौन सी पॉलिसी उनके लिए बेहतर हो सकती है. हम आपको कुछ ऐसी जानकारी दे रहे हैं, जो आपको बारीकियों से रूबरू कराने के साथ अच्छा और किफायती इंश्योरेंस लेने में मददगार साबित हो सकती है.
टर्म इंश्योरेंस है बेहतर
अधिकतर लोग टर्म इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस को लेकर कन्फ्यूज होते हैं. हालांकि टर्म इंश्योरेंस लाइफ इंश्योरेंस का ही एक रूप होता है, जिसका प्रीमियम लाइफ इंश्योरेंस की अपेक्षा काफी कम होता है और इंश्योरेंस कवर भी काफी ज्यादा होता है. एक्सपर्ट्स की मानें तो टर्म इंश्योरेंस आपकी सालाना आमदनी का करीब 25 गुना तक कवर देता है. साथ ही अगर आपकी इनकम बढ़ जाती है, तो इंश्योरेंस को भी टॉप-अप करा सकते हैं. इसका प्रीमियम उम्र के हिसाब से निर्धारित होता है. अगर आपकी उम्र कम है, तो आपका प्रीमियम काफी कम होगा. कुछ कंपनियां में 25 साल तक के लोगों के लिए 1 करोड़ रुपए के इंश्योरेंस का प्रीमियम भी 1000 से 1500 रुपए प्रति महीना होता है. वहीं होल लाइफ इंश्योरेंस के लिए आपको करीब 7000 रुपए तक का प्रीमियम देना होगा.
इन बातों को करें नजरअंदाज
अक्सर लोग बीमा से पहले कुछ लोगों से सलाह लेते हैं. ऐसे में वे यूलिप (ULIP) और एंडॉमेंट (Endowment) प्लान के बारे में बताते हैं. अगर आपको भी किसी ने इन प्लान के बारे में बताया है, तो उसे गंभीरता से न लें. इन दोनों प्लान में आपका प्रीमियम काफी होता है और कवर काफी कम होता है. उदाहरण के लिए – अगर आप 5 लाख का कवर लेना चाहते हैं, तो आपको 50,000 रुपए का प्रीमियम देना होगा, जो टर्म इंश्योरेंस की अपेक्षा बहुत ज्यादा है. कई बार एजेंट यह भी कहते हैं कि इस प्रीमियम के साथ आपको 10 साल में 10-15 लाख रुपए मिल जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं होता है. आपको इन दोनों प्लान में इन्वेस्ट करने से बचना चाहिए.
ये होते हैं कंपनियों के ’सीक्रेट्स’
सबसे पहले आपको कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेसियो (सीएसआर) चेक करना चाहिए. आसान भाषा में कहें, तो कंपनी के पास जितने भी क्लेम आए, उसमें से कितने लोगों के क्लेम कंपनी ने स्वीकार किए. उदाहरण के लिए कंपनी ने 100 में से 90 क्लेम सेटल कर लिए. इसका मतलब है कि कंपनी ने 10 क्लेम रिजेक्ट भी कर दिए. वैसे तो सीएसआर को IRDA की रिपोर्ट में देखा जा सकता है, लेकिन जिन कंपनियों का सीएसआर अच्छा होता है, वे इसे अपनी वेबसाइट पर भी दिखाती हैं.
इसके अलावा आपको अमाउंट सेटलमेंट रेसियो (एएसआर) पर भी खासा ध्यान देने की जरूरत है. कई बार कंपनियां सीएसआर को तो अच्छा दिखाती हैं, लेकिन उनका एएसआर उससे काफी अलग होता है. चलिए आसान भाषा में समझते हैं. एएसआर का मतलब होता है कि कंपनी ने क्लेम की कितनी राशि को स्वीकार किया है. कई बार कंपनियां 10 में से 7 क्लेम को स्वीकार कर लेती हैं, जिनकी वैल्यू 7 करोड़ रुपए होती है, लेकिन 4 करोड़ के 3 क्लेम को रिजेक्ट कर देती हैं. ऐसे में अमाउंट सेटलमेंट रेसियो काफी कम हो जाता है, जो कंपनियां अपनी वेबसाइट पर नहीं दिखातीं. इस रेसियो को IRDA की वार्षिक रिपोर्ट में देख सकते हैं. यह रिपोर्ट हर साल तैयार की जाती है.
एक अन्य महत्वपूर्ण चीज क्लेम रिजेक्शन रेसियो (सीआरआर) होती है. इसका मतलब यह होता है कि कंपनी ने क्लेम किए गए कुल मामलों में से कितनों को रिजेक्ट कर दिया. कुछ कंपनियों का यह रेसियो 1 प्रतिशत से भी नीचे होता है. ऐसे में जितना कम यह रेसियो होगा उतनी बेहतर इंश्योरेंस कंपनी होगी. इसके अलावा असेट अंडर मैनेजमेंट पर भी ध्यान देना चाहिए. इसका मतलब यह है कि कंपनी कितना पैसा मैनेज कर रही है. जिस कंपनी का यह मैनेजमेंट अच्छा होगा, वह कंपनी संकट की स्थिति में ग्राहकों का पैसा वापस करने में सक्षम होगी.