Jobs Layoffs: इस स्टार्टअप ने निकाल दिए 80 फीसदी कर्मचारी, छंटनी किए गए लोगों को नहीं मिली सैलरी
ReshaMandi: कंपनी के कर्मचारियों की संख्या अब सिर्फ 100 रह गई है. इसके अलावा छंटनी का शिकार लोगों को अभी तक पैसा भी नहीं मिल पाया है.
ReshaMandi: पूरी दुनिया में इन दिनों नौकरियों पर संकट जारी है. साल 2023 से पूरी दुनिया में छंटनी का दौर जारी है. हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 भी नौकरियों के लिए बहुत भारी रहा है. इस साल की पहली छमाही में लगभग 1 लाख लोगों की नौकरी जा चुकी है. स्टार्टअप भी फंडिंग की कमी से जूझ रहे हैं. एक के बाद एक कई स्टार्टअप में भी छंटनी की जा चुकी है. अब जानकारी सामने आई है कि बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप रेशा मंडी (ReshaMandi) ने एक झटके में अपने लगभग 80 फीसदी वर्कफोर्स में कटौती कर दी है.
छंटनी का शिकार हुए लोगों को नहीं मिली सैलरी
जानकारी के अनुसार, रेशा मंडी सिल्क यार्न प्रोडक्शन (Silk Yarn Products) में स्पेशलाइज्ड है. कंपनी तमाम कोशिशों के बावजूद सीरीज बी फंडिंग (Series B Funding) हासिल करने में असफल रही है. इसके चलते उसे अपने ऑपरेशंस कम करने पड़े हैं. कंपनी पिछले साल से ही कैश संकट से जूझ रही है. जनवरी, 2023 में कंपनी में लगभग 500 कर्मचारी थे. अब इनकी संख्या घटकर 100 रह गई है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कंपनी छंटनी का शिकार हुए लगभग 300 कर्मचारियों को अभी तक उनकी सैलरी और अन्य पैसा नहीं दे पाई है.
इनवेस्टर्स को पसंद नहीं आए थे कंपनी के कई कदम
रेशा मंडी के कर्मचारियों ने दावा किया है कि कंपनी तेजी से ग्रोथ करना चाहती थी. इसके लिए उन्होंने अक्टूबर, 2021 में हासिल हुए फंड के बाद कई बड़े कदम उठाने शुरू किए थे. इनमें से कई कदम टेमासेक (Temasek) और अन्य इनवेस्टर्स को पसंद नहीं आए. अब कई कर्मचारी सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर कंपनी की रणनीति पर सवाल उठा रहे हैं. रेशा मंडी की स्थापना साल 2020 में की गई थी. कंपनी ने लगभग 4 करोड़ डॉलर का इनवेस्टमेंट क्रिएशन इंवेस्टमेंट्स (Creation Investments), ओमनीवोर (Omnivore), वेंचर कैटलिस्ट (Venture Catalysts) और अन्य से हासिल किया था.
साल 2023 से ही आर्थिक संकट में फंस गई थी कंपनी
रिपोर्ट के अनुसार, रेशा मंडी साल 2023 से ही आर्थिक संकटों में फंस चुकी थी. कंपनी में छंटनी जून, 2023 से ही शुरू की जा चुकी थी. कंपनी लोगों की सैलरी दे पाने में सक्षम नहीं थी. इसलिए उसने कर्मचारियों से तीन महीने तक बिना सैलरी के काम करवाया और उसके बाद नौकरी से निकाल दिया.
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