नई दिल्लीः चार मीटर से बड़ी गाड़ियां महंगी हो सकती है. क्योंकि इन पर सेस की दर बढ़ाने का प्रस्ताव है. अभी चार मीटर से बड़ी गाड़ियों पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी और 15 फीसदी की दर से सेस यानी कुल मिलाकर 43 फीसदी की दर से सेस लगता है. ताजा प्रस्ताव पर अमल के बाद जीएसटी की दर तो 28 फीसदी ही रहेगी जबकि सेस की दर 25 फीसदी हो जाएगी, यानी कुल टैक्स 53 होगा. इस बढ़ोतरी से मझौली, बड़ी, लग्जरी, एसयूवी और हाइब्रिड सभी गाड़ियों के दाम बढ़ेंगे.
वित्त मंत्रालय की ओऱ से जारी एक बयान में कहा गया कि जीएसटी काउंसिल ने सेस की ऊपरी दर बढ़ाने के लिए केद्र सरकार की ओर से जरुरी कानूनी फेरबदल की सिफारिश की. सेस बढ़ाने के पीछे वजह बतायी गयी कि पहली जुलाई के बाद मोटर गाड़ियों पर टैक्स की प्रभावी दर, पहले के मुकाबले कम हो गयी है. इसी के मद्देनजर सेस की ऊपरी दर 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी करने का प्रस्ताव किया गया. ध्यान रहे कि सिगरेट के मामले में भी कुछ ऐसी ही स्थिति पायी गयी जिसके बाद सेस बढ़ाने का फैसला किया गया. सेस बढ़ने के साथ ही सिगरेट कंपनियो ने अपने उत्पादों के दाम बढ़ा दिए.
वित्त मंत्रालय का ये भी कहना है कि अभी सेस में बढ़ोतरी की तारीख तय नहीं हुई है. इस बारे में जीएसटी काउंसिल फैसला करेगा. ध्यान रहे कि सेस की दर का प्रावधान मुआवजे से जुड़े कानून (Goods and Service Tax (GST) (Compensation to State) Act 2017) में किया गया है. लिहाजा इसमें किसी भी तरह का फेरबदल कानून में संशोधन के बाद ही किया जा सकता है. अब ऐसे में दो विकल्प हैं, एक संसद के मौजूदा सत्र में विधेयक लाया जाए और दो, चुंकि सत्र में सिर्फ चार दिन का कामकाज बचा है तो ऐसे में 11 अगस्त के बाद कभी भी अध्यादेश जारी किया जा सकता है. गौर करने की बात ये भी है कि जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक नौ सितम्बर को हैदराबाद में प्रस्तावित है.
सेस की दर बढ़ाने का प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब तमाम ऑटो कंपनियां हायब्रिड कारों पर टैक्स कम करने की मांग कर रही हैं. उनका कहना है कि पर्यावरण के हित में हायब्रिड कार पहले टैक्स में छूट दी जाती थी, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद ये सबकुछ खत्म हो गया. दूसरी ओर सरकार पहले ही दो टूक शब्दों में कह चुकी है कि हायब्रिड कार को लेकर उद्योग की दलीलें आधारहीन है और उन्हे रियायत नहीं मिलेगी. अब सेस बढ़ाने की वजह से हायब्रिड कारों के दाम और बढ़ेंगे. सेस बढ़ाने की एक वजह बड़ी गाड़ियों के दाम में कमी को लेकर हो रही आलोचना भी है.
फिलहाल, ऑटो कंपनियों ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. उनका कहना है कि सेस लागू करने के लिए जरुरी कानूनी व्यवस्था तैयार होने के बाद ही पता चलेगा कि सेस का असर क्या है. ध्यान रहे कि सेस से हुई कमाई के जरिए केद्र सरकार ने राज्यों को जीएसटी लागू होने से होने वाले नुकसान की भरपाई करने का प्रावधान किया है. अभी ये व्यवस्था पांच सालों के लिए है. लग्जरी गुड्स, बड़ी गाड़ियां और तंबाकू जैसे सामान पर सेस लगाने का प्रावधान है.