Mobile Apps: मोबाइल ऐप्स पर थोड़ी सी लापरवाही कर सकती है बड़ा नुकसान, जानिए क्या है कारण
Cyber Security Apps: साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में आपकी थोड़ी सी लापरवाही बड़ा नुकसान करा सकती है. आपको इससे बचने के लिए सावधान रहना होगा.
Mobile Application Cyber Crime : डिजिटल युग में आज कल हर व्यक्ति मोबाइल ऐप का खूब इस्तेमाल कर रहा है. हर छोटे-मोटे काम के लिए मोबाइल का उपयोग किया जा रहा है. ये खबर उन लोगों के ज्यादा काम की है, जो अपने मोबाइल पर एप्लीकेशन से कई काम करते है. आपको बता दें कि इससे आपको भारी नुकसान हो सकता हैं.
तेजी से बढ़ रहा साइबर क्राइम
देश में साइबर क्राइम (Cyber Crime) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में आपकी थोड़ी सी लापरवाही बड़ा नुकसान करा सकती है. आपको इससे बचने के लिए सावधान रहना होगा. आमतौर पर आप अपने कंप्यूटर को इस्तेमाल करने के बाद बंद कर देते हैं, लेकिन आप मोबाइल फोन को इस्तेमाल के बाद कभी ऑफ नहीं करते है.
बैंकिंग ट्रांजेक्शन
आज मोबाइल से यूपीआई पेमेंट (UPI Payment) से लेकर बैंकिंग ट्रांजेक्शन (Banking Transaction) जैसे कई काम किए जा रहे हैं. आपके बैंक बैलेंस से लेकर NEFT Transfer, EPFO स्टेटमेंट आदि एसएमएस के रूप में आपके मोबाइल पर आते हैं. आप व्हाट्सएप पर अपने आधार कार्ड जैसी सीक्रेट जानकारी भी शेयर कर देते हैं. ऐसे में साइबर क्राइम की आशंका बनी रहती है. आप साइबर क्राइम के इन खतरों से कैसे बच सकते हैं.
ऐसे रहें सावधान
इस मामले में Nortonlifelock के सेल्स एंड फील्ड मार्केटिंग डायरेक्टर रितेश चोपड़ा का कहना है कि साइबर क्राइम सिर्फ इतना भर नहीं है कि वायरस अटैक से कोई हमारी प्राइवेसी के बारे में सब कुछ पता कर सकता है. आपके फ़ोन में मौजूद जरूरी डेटा चुरा भी सकता है. कई बार ऐसा करने का ऑफर दे देते हैं.
ये है लापरवाही
आमतौर पर पर्सनल कंप्यूटर (Personal Computer) इस्तेमाल करने के बाद हम में ज्यादातर लोग उसे बंद कर देते हैं. मोबाइल फोन कभी भी स्विच ऑफ नहीं करते हैं, जबकि उसका इस्तेमाल हम अपने रोजमर्रा के हर काम में करते हैं. इस पर बैंक बैलेंस से जुड़ा मैसेज, फंड ट्रांसफर, ईपीएफओ स्टेटमेंट (Message, Fund Transfer, EPFO Statement) तमाम जरूरी लेनदेन के मैसेज आते हैं. कई बार हम खुद व्हाट्सएप के जरिए अपना बोर्डिंग पास या आधार कार्ड किसी और को शेयर करते हैं.
एंटी-वायरस इस्तेमाल
आपको बता दे कि आपको अपने सभी डिवाइस में एक अच्छे एंटी-वायरस का इस्तेमाल करना चाहिए. लगभग 90 फीसदी लोग अपने पर्शनल कंप्यूटर की सुरक्षा के लिए एंटी-वायरस का इस्तेमाल करते हैं. मोबाइल फोन की सुरक्षा के लिए बहुत कम ही लोग एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं. फोन खरीदते समय आपको सबसे पहले एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर के लिए पैसे खर्च करना चाहिए.
ये है एंटी-वायरस
रितेश चोपड़ा का कहना है कि नॉर्टन 360 एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर केवल 999 रुपये के खर्च पर आपको सलाना 3 डिवाइस के प्रोटेक्शन के लिए सुविधा देता है. एक बार मोबाइल फोन में यह नॉर्टन 360 इस्टाल कर लेने के बाद आपको मैसेज फ़िल्टरिंग जैसी तमाम सुविधाएं मिलती हैं. नॉर्टन 360 एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर आपके फोन पर मैसेज के रुप में आए हानिकारक ट्रोजन या स्पाइवेयर वायरस के प्रति एलर्ट करता है. यह साफ्टवेयर लगातार आपके फोन को स्कैन करता रहता है साथ ही खतरों के बारे में एलर्ट करता है.
एप एडवाइजर करें यूज
Norton द्वारा एक साल पहले किए गए सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक औसतन भारतीय अपने फोन में 48 एप्स रखते हैं. इनमें से ज्यादातर लोग अपने मोबाइल फोन में एप को इस्तेमाल करने के बाद उसे लॉग ऑफ नहीं करते हैं. वे लोग इन एप द्वारा मांगी गई परमिशन ऑप्शन के बारे में जानते हैं बावजूद उस पर अपनी सहमति दे देते हैं. कुछ एप को इस्तेमाल करने के लिए माइक्रोफ़ोन, कैमरा और लोकेशन के लिए परमिशन देने की जरूरत पड़ सकती है. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि लोग बिना जरुरत के अनजाने में किसी एप द्वारा मांगी गई परमिशन को दे बैठते हैं.
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