Internet: दुनिया की सबसे बड़ी ग्रामीण ब्रॉडबैंड कनेक्शन प्रोजेक्ट भारतनेट (BharatNet Project) को अब सेटेलाइट का सहारा मिलेगा. केंद्र सरकार (Modi Government) ने इस 1.4 लाख करोड़ रुपये की विशाल परियोजना को नया रूप देने की तैयारी कर ली है. इसके अंतर्गत दूरदराज के इलाकों और पहाड़ी क्षेत्रों को हाई स्पीड इंटरनेट से जोड़ने के लिए सेटेलाइट कनेक्टिविटी टेक्नोलॉजी, फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस (FWA) और फाइबर लाइन का इस्तेमाल किया जाएगा. इस प्लान को मंजूरी मिलते ही जिओ, स्टारलिंक और वनवेब जैसी कंपनियां सरकार से जुड़कर भारतनेट पर काम शुरू कर सकती हैं.
10 फीसद गांवों को सुविधा देने की तैयारी
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मुश्किल और पहाड़ी इलाकों में आने वाली 10 फीसद ग्राम पंचायतों को सेटेलाइट के जरिए इंटरनेट से जोड़ा जाएगा. प्राइवेट कंपनियों के साथ ही बीएसएनएल (BSNL) को भी सेटेलाइट कम्युनिकेशन (Satcom) कंपनियों के साथ हाथ मिलाने की मंजूरी मिल जाएगी. प्रोजेक्ट के पहले और दूसरे चरण में कुछ ग्राम पंचायतों को यह सुविधा दी गई थी. मगर, GEO सेटेलाइट इसके लिए उपयुक्त नहीं पाए गए. अब नए तरीके की सेटेलाइट तकनीक का प्रयोग किया जाएगा.
अगले महीने आ सकते हैं टेंडर
भारतनेट प्रोजेक्ट को संभाल रही बीएसएनएल अगले महीने इस संबंध में टेंडर निकाल सकती है. इसके तहत कंपनियों को फाइबर केबल बिछाने के साथ ही ऑपरेशन और मेंटेनेंस भी संभालना होगा. बीएसएनएल की कोशिश है कि काम अगले साल मार्च या अप्रैल से शुरू हो जाए. सेटेलाइट कनेक्टिविटी के लिए सस्ती लागत के विकल्प तलाशे जाएंगे.
1.64 लाख गांव जोड़े जा चुके हैं
इस प्रोजेक्ट के फेज 1 और 2 में देश के 1.64 लाख गांवों में इंटरनेट पहुंचा दिया गया था. अगले चरण में 47 हजार नई ग्राम पंचायतें जोड़ी जाएंगी और जुड़ चुके सभी गांवों में इंटरनेट सेवाओं में सुधार किया जाएगा. भारतनेट से ग्रामीण उद्यमियों को जोड़ा जाएगा. प्रोजेक्ट के तहत फाइबर टू द होम (FTTH) कनेक्शन लेने पर उन्हें 8900 से 12900 रुपये तक की सहायता भी दी जाएगी. भारतनेट उद्यमी मॉडल के अंतर्गत बीएसएनएल पांच सालों में 1.5 करोड़ फाइबर कनेक्शन देना चाहती है.
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