नई दिल्लीः टाटा समूह का मोबाइल समूह कारोबार अब भारती एय़रटेल का हिस्सा होगा. इसके जरिए एक ओऱ जहां भारती एयरटेल के ग्राहकों की संख्या 32 करोड़ के करीब पहुंच जाएगी, वहीं भारती एयरटेल को 4जी तकनीक में इस्तेमाल होने वाले अतिरिक्त स्पेक्ट्रम का फायदा मिलेगा.
टाटा समूह के कंज्यूमर मोबाइल बिजनेस की जिम्मेदारी दो कंपनियों, टाटा टेलिसर्विसेज और टाटा टेलिसर्विसेज महाराष्ट्र ने संभाल रखा था. टाटा टेलिसर्विजेस जहां 17 सर्किल में सेवाएं मुहैया कराती है, वहीं टाटा टेलिसर्विसेज महाराष्ट्र के नाम 2 सर्किल है. ये कारोबार घाटे में चल रहा है. दूसरी ओर जियो के बढ़ते दबदबे और वोडाफोन के साथ आइडिया के विलय के बाद टाटा समूह के मोबाइल सेवाएं बेचे जाने की अटकलें काफी समय से चल रही थी. गुरुवार को इस बाबत ऐलान किया गया.
समझौते के मुताबिक, टाटा टेलिसर्विसेज और टाटा टेलिसर्विसेज महाराष्ट्र के चार करोड़ ग्राहक भारती एयरटेल के नेटवर्क में शामिल हो जाएंगे. इस तरह भारती एयरेटल के ग्राहकों की संख्या 28 करोड़ से बढकर 32 करोड़ तक पहुंच जाएगी. दूसरी ओऱ भारती एय़रटेल को 178.5 मेगाहर्ज स्पेक्ट्रम का फायदा मिलेगा जो 850, 1800 और 2100 मेगाहर्टज बैंड में आते हैं. टाटा समूह वैसे तो काफी हद तक देनदारी खत्म कर ही कारोबार भारती एयरटेल को सौंपेगा, लेकिन भारती एयरटेल को स्पेक्ट्रम के लिए बकाया रकम का कुछ हिस्सा चुकाना होगा. इस मामले में कुल देनदारी करीब 10 हजार करोड़ रुपये बनती है. कुल मिलाकर ये पूरा सौदा कर्ज मुक्त और बगैर नगद के होगा.
जियो के बाजार में आने के बाद एयरटेल की ये दूसरी खऱीद है. इसके पहले दिल्ली स्थित इस टेलिकॉम कंपनी ने फरवरी में टेलिनॉर खरीदने का ऐलान किया था. टेलिनॉर सात सर्किल, आंध्र प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और असम में सेवाएं मुहैया कराती है. इस सौदे का एयरटेल को एक बड़ा फायदा 800 मेगाहर्ट्ज बैंड में अतिरिक्त 43.4 मैगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम मिलने से हुआ है. एयरटेल का कहना था कि जिन सर्किल में टेलिनॉर सेवाएं मुहैया कराती है, वहां आबादी काफी ज्यादा है जिसकी वजह से कारोबार बढ़ाने का काफी बेहतर संभावनाएं हैं.
रिलायंस इंडस्ट्रीज के जियो ने बाजार में खलबली मचा रखी है. शुरुआती कई महीनों तक मुफ्त सेवा मुहैया कराने के बाद अब भी कंपनी काफी कम दर पर सेवाएं मुहैया करा रही है जिसकी वजह से पुरानी कंपनियों को अपनी दरों में कमी करनी पड़ी. अब इंटरकनेक्ट चार्ज में कमी करने के टेलिकॉम रेग्युलेटर ट्राई के फैसले से कंपनियो को अपनी दरें और कम करनी होगी. दरअसल इंटरकनेक्ट चार्ज वो चार्ज है जो एक टेलिकॉम कंपनी उस दूसरी टेलिकॉम कंपनी को देती है जिसके नेटवर्क पर उसके ग्राहक कॉल करते हैं.
बहरहाल, ऐसा लगता है कि भारती एयरटेल के शेयरधारकों को कंपनी की ताजा पहल अच्छा नहीं लगा. कुछ यही वजह है भारती एय़रटेल के शेयर 0.8 फीसदी की गिरावट के बाद 400 रुपये के करीब पर बंद हुए.