(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Ashneer Grover Sued: अश्नीर ग्रोवर फिर मुश्किल में, BharatPe के फाउंडर भाविक कोलाडिया ने किया केस, जानें वजह
Ashneer Grover Sued: फिनटेक यूनीकॉर्न भारतपे के मूल फाउंडर भोविक कोलाडिया ने अपने पूर्व पार्टनर अश्नीर ग्रोवर के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज कराया है, जानिए आखिर पूरा मामला क्या है.
Ashneer Grover Sued: भारतपे के पूर्व को-फाउंडर और शार्क टैंक के पूर्व जज अश्नीर ग्रोवर का चर्चा में रहने का सिलसिला जारी है और इस बार फिर ये एक मुसीबत में फंस सकते हैं. फिनटेक यूनीकॉर्न भारतपे के मूल फाउंडर भाविक कोलाडिया ने अपने पूर्व पार्टनर अश्नीर ग्रोवर के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज करा दिया है.
कल होगी दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई
लाइव मिंट की एक खबर के मुताबिक भाविक कोलाडिया ने अश्नीर ग्रोवर के खिलाफ जो केस दर्ज कराया है उसमें उन्होंने अपने कंपनी के शेयरों पर दावा ठोका है और दिल्ली हाई कोर्ट में ये मामला कल यानी 18 जनवरी को सुना जा सकता है. हालांकि खबर आ गई है कि कल ये मामला दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस प्रतीक जालान के सामने सुनवाई के लिए लिस्टेड हो चुका है.
भाविक कोलाडिया ने लिया लीगल एक्शन
भाविक कोलाडिया ने भारतपे के को-फाउंडर अश्नीर ग्रोवर के खिलाफ जो केस दर्ज कराया है उसमें वो पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर से अपने शेयर्स वापस लेने के लिए कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं. उस समय, कोलाडिया ने कहा था कि BharatPe उनके सबसे बड़े इंवेस्टमेट्स में से एक है और वह निकट भविष्य के लिए कंपनी में निवेश करना जारी रखेंगे. समाचार रिपोर्टों के मुताबिक भी ये सामने आया है कि ग्रोवर कोलाडिया की ओर से BharatPe के कुछ शेयर रखते थे.
भारतपे के तीसरे पूर्व को-फाउंडर हैं अश्नीर ग्रोवर
को-फाउंडर के तौर पर भाविक कोलाडिया और शाश्वत नकरानी ने साल 2017 में भारतपे की स्थापना की थी. उस समय भाविक कोलाडिया कंपनी के पीछे के चेहरे के तौर पर निवेशकों से फंडिंग लेने की कोशिशों में लगे रहते थे. जून 2018 में अश्नीर ग्रोवर ने तीसरे को-फाउंडर के तौर पर भारतपे में जॉइन किया था.
भाविक कोलाडिया के पास था भारतपे का 42.5 फीसदी हिस्सा
जब अश्नीर ग्रोवर ने भारतपे जॉइन किया तब उनको 32 फीसदी इक्विटी मिली थी, नकरानी के पास 25.5 फीसदी और भाविक कोलाडिया के पास बाकी बची हुई सबसे ज्यादा हिस्सेदारी थी जो कि 42.5 फीसदी स्टेक था. कंपनी की रजिस्ट्री फाइलिंग के मुताबिक ये जानकारी मिली थी. हालांकि 6 महीने बाद दिसंबर 2018 में कोलाडिया का नाम भारतपे के फाउंडर्स की लिस्ट में से गायब हो गया था. ऐसा भारतपे के इंवेस्टर के रूप में सिक्वुआ के सामने आने से ठीक पहले हुआ था और इसकी वजह बताई गई कि संस्थागत निवेशकों को भाविक कोलाडिया के नाम से आपत्ति थी क्योंकि वो अमेरिका में जेल काटकर आए थे.
भाविक कोलाडिया जेल क्यों गए थे
भाविक कोलाडिया 2007 में अमेरिका गए थे और वहां बिना लाइसेंस के अपने ग्रोसरी स्टोर पर डिजिटल पेमेंट्स स्वीकार करते थे. ये अमेरिका के कानूनी नियमों का उल्लंघन था लिहाजा वो वहां गिरफ्तार हुए और उन्हें जेल जाना पड़ा. वहां 22 महीने कानूनी कार्रवाई चली और उसके बाद उन्हें 100 डॉलर का जुर्माना देना पड़ा और साल 2015 में उन्हें भारत वापस भेज दिया गया था.
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