BHIM: अब भीम के लंबी नींद से जागने की तैयारी, गूगल पे और फोनपे से लेगा टक्कर
PhonePe and Google Pay: साल 2016 में लॉन्च होने के बाद कम मार्केटिंग बजट के चलते यह एप ज्यादा कस्टमर्स तक नहीं पहुंच पाया है. अब ओएनडीसी के रास्ते भीम 2.0 को लाने की तैयारी की जा रही है.
PhonePe and Google Pay: देश में यूपीआई ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने साल 2016 में भीम एप (BHIM) को लॉन्च किया था. मगर, यह एप तरक्की की राह कभी नहीं पकड़ सका. फोनपे (PhonePe), गूगल पे (Google Pay) और पेटीएम (Paytm) जैसे प्राइवेट कंपनियों के पेमेंट एप मार्केट पर छा गए और भीम सुस्त ही पड़ा रहा. अब भीम ने भी लंबी नींद से जागकर रफ्तार पकड़ने की तैयारी कर ली है. अपना कस्टमर बेस बढ़ाने के लिए भीम ईकॉमर्स सेक्टर पर ओएनडीसी (ONDC) के रास्ते दखल देगा. यह पेमेंट एप अब कई तरह के प्रोडक्ट और सर्विसेज ऑफर करेगा. इनमें फूड, बेवरेज, ग्रॉसरी, फैशन और एपेरल जैसे प्रोडक्ट भी ऑफर किए जाएंगे.
ओएनडीसी के रास्ते ईकॉमर्स में घुसने की तैयारी
भीम (Bharat Interface for Money) ने ईकॉमर्स सेक्टर पर पकड़ बनाने के लिए ओएनडीसी (Open Network for Digital Commerce) का रास्ता अपनाने का मन बना लिया है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ऑनलाइन पेमेंट में गूगल पे और फोनपे के दबदबे को भीम टक्कर देगा. भीम को नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने विकसित किया था. ओएनडीसी के लिए भीम एक अलग डिवीजन तैयार कर रहा है. यह डिवीजन ईकॉमर्स सेक्टर के लिए विभिन्न तरह के ऑफर तैयार करने का काम करेगी.
पेटीएम के खिलाफ हुई कार्रवाई से भीम को फायदा
भीम एप की इस सक्रियता से डिजिटल पेमेंट मार्केट में बड़ा बदलाव आएगा. जल्द ही एनपीसीआई इस सेक्टर में मार्केट शेयर के नियम बदलने वाला है. ऐसे में गूगल पे और फोनपे को अपनी बाजार हिस्सेदारी कम करनी पड़ सकती है. इसका सीधा लाभ भीम एप को ही मिलेगा. हाल ही में पेटीएम के खिलाफ हुई कार्रवाई से भी भीम एप को काफी फायदा हुआ है. इस एप के डाउनलोड बढ़े हैं. यह भीम के आगे बढ़ने का बड़ा अवसर है. भीम एप ने ओएनडीसी से राहुल हांडा को लाकर चीफ बिजनेस ऑफिसर भी बना दिया है. वह भीम 2.0 की दिशा में अहम रोल निभाएंगे.
डिजिटल पेमेंट सेक्टर में कई कंपनियां चाहता है एनपीसीआई
साल 2016 में मार्केट में आया भीम मार्केटिंग के कम बजट और उपभोक्ताओं तक सही से न पहुंचने के चलते रेस में काफी पिछड़ गया है. अब वह ओएनडीसी के साथ मिलकर आगे की राह तय करने जा रहा है. एनपीसीआई की कोशिश है कि देश में कई डिजिटल पेमेंट एप रहें ताकि किसी एक के फेल होने की स्थिति में कस्टमर्स पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े.
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