थोक बाजार की तुलना में खुदरा बाजार में सब्जियां बहुत ज्यादा महंगी होने से सरकार अलर्ट है. पिछले कुछ दिनों से आलू, टमाटर और मौसमी सब्जियों के दाम में काफी इजाफा देखने को मिल रहा है. आलू 35 से 40 रुपये और टमाटर 70 रुपये से लेकर 90 रुपये किलो तक बिक रहा है. लेकिन ये खुदरा कीमतें हैं. थोक मंडियों में इनके दाम काफी कम हैं.


क्या डीजल की बढ़ी कीमतें हैं सब्जियां महंगी होने की वजह?  


टमाटर थोक मंडियों में 18 से 20 रुपये किलो बिक रहा है लेकिन खुदरा कीमतें 50 से 80 रुपये तक पहुंच गई हैं. शिमला मिर्च की थोक कीमत 20 रुपये किलो है और लेकिन यह 50 से 60 रुपये तक बिक रही है. खुदरा दुकानदार डीजल की कीमतों में इजाफे और थोक मंडियों में सब्जियों की कम आवक को महंगी सब्जी की वजह बता रहे हैं.


सब्जियों की थोक और खुदरा कीमतों में बढ़ रहे अंतर को देखते हुए केंद्र सरकार अलर्ट है. खाद्य मंत्रालय ने राज्यों को इसे लेकर अलर्ट कर दिया है ताकि दाम बेकाबू न हों. राज्यों से कहा गया गया है वे अपने यहां सब्जियों  की सप्लाई पर नजर रखें. हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि लॉकडाउन के बाद रेस्तरां और होटलों के खुलने से सब्जियों की मांग बढ़ी है. लेकिन इतनी भी नहीं बढ़ी है कि सब्जियां इतनी ज्यादा महंगी हो जाएंगीं.दरअसल खुदरा बिक्रेता इस वक्त हालात का फायदा उठा रहे हैं.


खुदरा दुकानदार सब्जियोंं  की बढ़ी कीमतों को इसके लिए दोषी ठहरा रहे हैं. उनका कहना है कि डीजल महंगा होने की वजह से ढुलाई की लागत बढ़ गई है. लागत निकालने के लिए सब्जियां महंगी बेचनी पड़ रही हैं. देश के कुछ हिस्सों में मानसून की बारिश ज्यादा होने से रास्ते बंद हो गए हैं. इससे भी सब्जियों के ट्रांसपोर्टेशन पर असर पड़ा है. कुछ थोक दुकानदार मानसून से  पैदा सब्जियों की किल्लत का फायदा लेने के लिए जमाखोरी भी कर रहे हैं. इससे भी सब्जियां महंगी हो रही हैं