Minimum Public Shareholding Update: केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और वित्तीय संस्थानों को सेबी के मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियमों के पालन करने की समय सीमा को अगस्त 2026 के लिए बढ़ा दिया है. सेबी के नियमों के मुताबिक स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड किसी भी कंपनी के लिए 25 फीसदी मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग रखने का नियम है. लेकिन सरकार ने जनहित में सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (CPSE), पब्लिक सेक्टर बैंकों और वित्तीय संस्थानों को एक अगस्त 2026 तक मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग को बढ़ाकर 25 फीसदी करने की मोहलत दे दी है.

  


वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा, केंद्र सरकार ने जनहित में ये तय किया है कि स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड सभी पब्लिक सेक्टर कंपनी जिनका पब्लिक शेयर होल्डिंग 25 फीसदी से कम है उन्हें एक अगस्त, 2026 तक इस नियम का पालन करने की छूट दी जाती है और इस अवधि तक वे मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग को बढ़ा सकेंगे. नोटिफिकेशन में शेयर बाजार के रेग्यूलेटर सेबी से इस दिशा में जरूरी कदम उठाने को कहा गया है और स्टॉक एक्सचेंजों को भी ये जानकारी उपलब्ध कराने को कहा गया है.   


आपको बता दें स्टॉक एक्सचेंज पर ऐसी कई सरकारी कंपनियां और बैंक हैं जिनकी पब्लिक शेयरहोल्डिंग 25 फीसदी से कम है. बैंकों में पंजाब एंड सिंध बैंक में सरकार की अभी 98.25 फीसदी हिस्सेदारी है. इंडियन ओवरसीज बैंक की 96.38 फीसदी, यूको बैंक में  95.39 फीसदी, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 93.08 फीसदी, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में सरकार की हिस्सेदारी 86.46 फीसदी है. रेलवे से जुड़ी आईआरएफसी में सरकार के पास 86.36 फीसदी हिस्सेदारी है. डिफेंस कंपनी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स में 84.83 फीसदी और एलआईसी में 96.5 फीसदी हिस्सेदारी सरकार के पास है. 


सेबी के रेग्यूलेशन के तहत स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड किसी भी कंपनी में प्रमोटर के अलावा पब्लिक शेयरहोल्डिंग कम से कम 25 फीसदी होना चाहिए. मई 2024 में ही सरकार ने एलआईसी को मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग 16 मई 2027 तक 10 फीसदी करने की मोहलत दी गई है. एलआईसी में फिलहाल केवल 3.50 फीसदी हिस्सेदारी ही पब्लिक के पास है. 


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