SBI को लगा झटका! RBI नहीं है यस बैंक में 51 फीसदी हिस्सेदारी विदेशी निवेशकों को बेचने के पक्ष में
Yes Bank Update: साल 2020 में यस बैंक पर वित्तीय संकट गहराने के बाद एसबीआई समेत कई बैंकों ने यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदकर बैंक को संकट से उबारा था. अब ये बैंक अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहते हैं.
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SBI-Yes Bank Update: बैंकिंग सेक्टर के रेगुलेटर भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने भारतीय स्टेट बैंक (State Bank Of India) के यस बैंक (Yes Bank) में 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. साथ ही आरबीआई किसी विदेशी निवेशकों द्वारा यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने जाने के भी पक्ष में नहीं है. इन बातों के चलते यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदारों के साथ एसबीआई की चल रही बातचीत भी ठप्प हो गई है.
एनडीटीवी प्रॉफिट के हवाले ये खबर सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय स्टेट बैंक यस बैंक में 51 फीसदी मैजॉरिटी स्टेक (Majority Stake) को बेचना चाहती है. लेकिन एसबीआई की इस प्लान में देरी हो सकती है. आरबीआई यस बैंक में मैजॉरिटी स्टेक बेचे जाने के पक्ष में नहीं है. आरबीआई की ओर से फिट एंड प्रॉपर अप्रूवल (Fit & Proper Approval) मिलना अभी बाकी है. रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक यस बैंक में किसी विदेशी निवेशक द्वारा 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदे जाने के भी पक्ष में नहीं है. यस बैंक में एसबीआई की 23.99 फीसदी स्टेक है.
यस बैंक में हिस्सेदारी बेचे जाने के प्रस्ताव पर एसबीआई के बोर्ड लेवल पर चर्चा होना अभी बाकी है और ना ही हिस्सेदारी बेचने को लेकर समय सीमा भी अभी तय नहीं हुई है. हालांकि भारतीय स्टेट बैंक यस बैंक में बेचना चाहती है. एसबीआई के अलावा दूसरे बैंकों की भी यस बैंक में हिस्सेदारी है जिन्होंने मार्च 2020 में यस बैंक को दिवालिया होने से बचाया था.
जिन बैंकों ने यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदकर बेलआउट किया था उनके निवेश की तीन साल की लॉक-इन पीरियड (Lock-In Period) मार्च 2023 में ही खत्म हो चुकी है. मार्च 2020 में आठ बड़े वित्तीय संस्थानों ने 10 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से यस बैंक में 10,000 करोड़ रुपये निवेश कर बैंक को संकट से बाहर निकाला था और डिपॉजिटर्स की गाढ़ी कमाई को डूबने से बचाया था.
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