Water Bottle Rules: पानी की बोतल को लेकर जल्द ही बड़ा बदलाव आने जा रहा है. मार्केट में बिक रही कई तरह की पानी की बोतल जल्द ही मार्केट से गायब होने वाली हैं. सबसे बड़ा झटका बाहर से देश में लाई जा रही पानी की बोतलों पर पड़ेगा. कॉमर्स एवं इंडस्ट्री मिनिस्ट्री इन्हें लेकर नए नियम लागू करने जा रही है. अब पानी की बोतलों को ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) का सर्टिफिकेट हासिल करना होगा. अगर यह सर्टिफिकेट किसी कंपनी के पास नहीं होगा तो वह यह बोतलें नहीं बेच सकेगी. इस निर्णय का सबसे बड़ा असर पानी के बोतलों के इंपोर्ट पर पड़ेगा.
कॉपर, स्टेनलेस और एल्युमिनियम की बोतलों का हो रहा इंपोर्ट
फिलहाल देश में ज्यादातर कंपनियां कॉपर, स्टेनलेस और एल्युमिनियम की पानी की बोतलों का इंपोर्ट कर रही हैं. बीआईएस से जुड़ा यह नियम लागू हो जाने के बाद अब इन्हें देश में ही मैन्युफैक्चरिंग शुरू करनी होगी. आईसीआईसीआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस फैसले से बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचेगा. कॉमर्स एवं इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने कंपनियों को बीआईएस सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए 24 जून तक का समय दिया है. इसके बाद कई सारे बोतल ब्रांड रिटेल और ईकॉमर्स इंडस्ट्री से गायब हो सकते हैं.
सेलो, मिल्टन और प्रेस्टीज भी नहीं कर रहे मैन्युफैक्चरिंग
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल सेलो (Cello), मिल्टन (Milton) और प्रेस्टीज (Prestige) समेत ज्यादातर बड़े खिलाड़ी पानी की बोतलों के इंपोर्ट पर ही निर्भर हैं. भारत में कॉपर, स्टेनलेस और एल्युमिनियम की पानी की बोतलों का प्रोडक्शन न के बराबर है. अब नया नियम लागू हो जाने के बाद या तो कंपनियों को ज्यादा इंपोर्ट ड्यूटी चुकाने के लिए तैयार हो जाना चाहिए या फिर उन्हें देश में ही ऐसी बोतलों की मैन्युफैक्चरिंग करनी पड़ेगी.
छोटी कंपनियों ने बुरा प्रभाव पड़ने की आशंका जताई
कॉमर्स एवं इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने पिछले साल जुलाई में ही यह फैसला ले लिया था. यह फैसला 6 महीने में लागू किया जाना था. मगर, अब इसे जून, 2024 में लागू किया जा रहा है. सेलो और मिल्टन जैसी बड़ी कंपनियों ने फिलहाल इस मामले में चुप्पी साधी हुई है. मगर, छोटी कंपनियों ने आशंका जताई है कि उन पर नए नियमों का बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा. यह कंपनियां मार्केट में लगभग 30 फीसदी की हिस्सेदार हैं.
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