Blinkit: ब्लिंकिट की खत्म नहीं हो रही मुश्किलें, अब 1000 एंप्लाइज ने थामा कॉम्पटीटर कंपनियों का हाथ, जानें क्यों
Blinkit Trouble: ब्लिंकिट के डिलीवरी वर्कर्स कंपनी में हाल ही में हुए बदलावों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और उनका कहना है कि इससे उनकी कमाई घट जा रही है.
Blinkit Trouble: ब्लिंकिट की मुश्किलों का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है और अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कंपनी के करीब 1000 एंप्लाइज ने इसकी प्रतिद्वंदी कंपनी जैसे क्विक कॉमर्स ऑपरेटर्स स्विगी, इंस्टामार्ट, जेप्टो और बिग बास्केट में नौकरी तलाश कर ली है. कंपनी के एंप्लाइज ने ये कदम इसलिए उठाया है क्योंकि वो इसके पेआउट ढांचे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.
इससे पहले अप्रैल में ही कंपनी ने घोषणा की थी कि कंपनी अपने डिलीवरी एक्ग्जीक्यूटिविस को डिस्टेंस बेस्ड कंपोनेंट के हिसाब पर आधारित मानक से 15 रुपये प्रति ट्रिप के लिए देगी. इससे पूर्व में ही ब्लिंकिट ने 25 रुपये हर ट्रिप के लिए और पीक आवर के 7 रुपये इंसेटिव से घटाकर राइड के लिए 15 रुपये प्रति ट्रिप तय कर दिए थे. ब्लिंकिट के डिलीवरी वर्कर्स इसी बदलाव के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और उनका कहना है कि इससे उनकी कमाई घट जा रही है.
ब्लिंकिट के डिलीवरी वर्कर्स की प्रदर्शन का असर इसके कई डार्क स्टोर्स, माइक्रो वेयरहाउस आदि पर पड़ा जो दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद और गाजियाबाद में हैं, प्रदर्शन के प्रभाव से इन शहरों में कई दिनों तक ब्लिकिंट के स्टोर्स बंद रहे. अब कंपनी की भरसक कोशिशों के बावजूद दिल्ली और गुरुग्राम के कई डार्क स्टोर्स ऑपरेशनल नहीं है क्योंकि इनके पास पर्याप्त डिलीवरी एक्जीक्यूटिव्स नहीं है.
ब्लिंकिट के पास दिल्ली-एनसीआर में करीब 200 वेयरहाउस हैं जो इसके कस्टमर्स को 2-3 किलोमीटर के दायरे में सेवाएं दते हैं.
मिनटों में सामान पहुंचाती है ऐप
पिछले साल, जोमैटो ने ब्लिंकिट (जिसे पहले ग्रोफर्स के नाम से जाना जाता था) को 550 मिलियन डॉलर में खरीदा था. इस ऐप के जरिए लोगों तक कुछ ही मिनटों में सामान पहुंचाया जाता है. कंपनी 10 मिनट के अंदर किराने के सामान से लेकर फल और सब्जियों की डिलीवरी कर देती है. इससे लोगों को सामान मंगाने में आसानी होती है. अब दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में ब्लिंकिट के ज्यादातर डार्क स्टोर तीन दिनों से बंद हैं.
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